इस बार भी आयोजन पूरी भव्यता के साथ हुआ. पुनसिया गांव से आई बारात नाचते-गाते सोहानी पहुंची, जहां दूल्हे ई-रिक्शा से विवाह मंडप तक पहुंचे. 11 अलग-अलग मंडपों में पंडितों ने हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार विवाह की रस्में पूरी कराईं. वरमाला, फेरे और मंगलसूत्र की रस्में कर शादियां संपन्न हुईं. कार्यक्रम पूरी तरह दहेज मुक्त रहा, जिससे समाज में एक सकारात्मक संदेश गया.
राजनीति और समाजसेवा के चेहरे बने साक्षी
इस आयोजन में बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, बांका विधायक राम नारायण मंडल, जदयू प्रदेश महासचिव सुभानंद मुकेश और डॉ. हर्षवर्धन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. इन्होंने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया और नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दिया.
रात भर गूंजती रही भक्ति की धुन
समारोह में मेहमानों के लिए भव्य भोजन, कोल्ड ड्रिंक और पानी की व्यवस्था की गई थी. पूरी रात भजन-कीर्तन और जागरण का कार्यक्रम चलता रहा. आयोजन को सफल बनाने में कन्हैया सिंह, पर्यावरणविद डॉ. रवि रंजन और सुमित कुमार उर्फ बब्बू की अहम भूमिका रही.
शादी के जोड़े बने प्रेरणा
इस सामूहिक विवाह में विवाह बंधन में बंधे जोड़ों में गौरव-ममता, राकेश-साखो, सोनू-कल्पना, सुखनंदन-जुली, सूरज-नंदनी, रावण-करुणा, डब्लू-रंभा, सज्जन-नंदनी, सुरेंद्र-कंचन, कुंदन-मनीषा और जितेंद्र-सोनी शामिल रहे. बांका का यह आयोजन ना सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को राहत देता है, बल्कि दहेज प्रथा के खिलाफ समाज को जागरूक करने की दिशा में एक सशक्त कदम भी है. आयोजकों ने अगले साल और अधिक जोड़ों की शादी कराने का संकल्प भी लिया है.
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