पंजवारा. पति की लंबी उम्र एवं अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर सावन माह में नवविवाहिताओं द्वारा किये जाने वाला मधुश्रावणी व्रत आज मंगलवार से आरंभ होगा. मैथिल ब्राह्मण समाज की नवविवाहिताएं इस पारंपरिक व्रत को श्रद्धा, भक्ति और नेम-निष्ठा के साथ निभाने की तैयारी में जुटी हुई हैं. यह व्रत प्रत्येक वर्ष सावन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से प्रारंभ होता है और शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तक लगातार 13 दिनों तक चलता है. इस दौरान नवविवाहिताएं अपने कोहवर स्थान पर कच्ची मिट्टी से बनाये गये हाथी पर विराजमान गौरी-महादेव, नाग-नागिन, विषहरी माता की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करती हैं. हर दिन की पूजा का अलग विधान होता है. पूजा के बाद व्रती को एक महिला द्वारा पौराणिक कथाएं सुनाई जाती हैं और पारंपरिक देवी गीतों का गायन किया जाता है. व्रती महिलाएं बताती हैं कि इस व्रत का उद्देश्य अपने पति के दीर्घायु जीवन की कामना करना और वैवाहिक जीवन को सुखद एवं मंगलमय बनाये रखना होता है.परंपरा के अनुसार, हर दिन की पूजा के अंत में भाई बहन का हाथ पकड़कर उसे उठाता है. व्रत की समाप्ति से एक दिन पूर्व वर पक्ष की ओर से पूजन सामग्री एवं नए वस्त्रों के साथ परिवार कन्या पक्ष के घर आता है. अंतिम दिन नवविवाहिताओं को परिवार के बुजुर्गों द्वारा आशीर्वाद दिया जाता है. इस पावन पर्व को लेकर समाज में उत्साह का वातावरण है और घर-घर में तैयारियां अंतिम चरण में हैं.
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