Begusarai Prabhat : कृषि मंत्री शिवराज ने मानी एमएलसी की मांग, किसानों को एडवांस में मिलेगा उर्वरक

Begusarai Prabhat : खाद आवंटन के सेंट्रलाइज पैटर्न पर विचार करने की जरूरत है. बेगूसराय स्थित हर्ल के फर्टिलाइजर प्लांट से उत्पादित उर्वरक का 10 प्रतिशत ही बिहार में उपयोग होता है शेष अन्य राज्यों को जाता है

By ALOK KUMAR | August 3, 2025 9:02 PM
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बेगूसराय. खाद आवंटन के सेंट्रलाइज पैटर्न पर विचार करने की जरूरत है. बेगूसराय स्थित हर्ल के फर्टिलाइजर प्लांट से उत्पादित उर्वरक का 10 प्रतिशत ही बिहार में उपयोग होता है शेष अन्य राज्यों को जाता है, जबकि अन्य प्रदेशों से भी बिहार में खाद की आपूर्ति की जाती है. ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन का खर्च अधिक होने के साथ-साथ समय की भी बर्बादी होती है. ये बातें दरभंगा स्नातक क्षेत्र से विधान पार्षद सर्वेश कुमार ने बिहार कृषि प्रबंधन एवं प्रसार प्रशिक्षण संस्थान (बामेती), पटना के सभागार में शनिवार को आयोजित किसान संवाद में कही. किसान संवाद में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री रेणु देवी के अलावा सैकड़ों की संख्या में प्रदेश के प्रगतिशील किसान मौजूद थे. एमएलसी सर्वेश कुमार ने कहा कि किसानों को रबी और खरीफ सीजन में फर्टिलाइजर के लिए परेशान होना पड़ता है. इससे छुटकारा दिलाने के लिए किसानों को एडवांस में खाद देने की व्यवस्था होनी चाहिये. बेगूसराय जिले में पूरे साल में लगभग 1.5 लाख टन फर्टिलाइजर की आवश्यकता है. केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने उद्बोधन में कहा कि खादों के वितरण मसले पर वे उर्वरक और कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से बात करेंगे. किसानों को रबी और खरीफ दोनों सीजन के लिए एडवांस में चार महीना पहले उर्वरक मिलेगा. जब खरीफ फसल खेतों में लगी हो तभी रबी फसल के लिए फर्टिलाइजर का कोटा जिलों में उपलब्ध होगा और जब रबी फसल खेतों में होगी तो खरीफ के लिए फर्टिलाइजर की उपलब्धता हो जायेगी. इससे उत्पादन के साथ-साथ किसानों की कमाई भी बढ़ेगी. वहीं पशुओं के फीड के लिए मोलेसेज के लाइसेंस देने पर भी विचार करने की बात कही. बिहार में सीमेन टेस्टिंग और जीनोम सिक्वेसिंग लैब खुले एमएलसी सर्वेश कुमार ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग रखी कि बिहार में सीमेन जांच और जिनोम सिक्वेसिंग के लिए लैब खुले. उन्होंने कहा कि पशुओं में व्यापक नस्ल सुधार हेतु बिहार देश का पहला राज्य है जिसमें जुलाई 2025 के विधानमंडल सत्र में पशु प्रजनन नीति के लिए कानून बनाया. इस तरह के कानून की जरूरत पूरे देश में है ताकि सीमेन की क्वालिटी, सीमेन देने वाले लोगों के ट्रेनिंग और उनका टेक्निकल एक्रीडेशन एवं अपग्रेडेशन किया जा सके. उन्होंने केंद्रीय कृषि मंत्री से मांग रखी कि पशु विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाये. फीड बनाने वाले कारखानों को मोलेसेज का लाइसेंस मिले विधान पार्षद ने कहा कि पशु आहार बनाने के लिए मोलेसेज का उपयोग किया जाता है, लेकिन बिहार में इसका उपयोग प्रतिबंधित है. इस कारण इसका लाइसेंस नहीं दिया जाता है. इस नीति के कारण बिहार में हजारों करोड़ रुपये का पशु आहार दूसरे राज्यों से आता है. पशुपालकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है. बिहार में ग्रेन बेस्ड इथेनॉल के 17 प्लांट हैं. इथेनॉल बनने के बाद प्रतिदिन हजारों टन डीजीएस दूसरे राज्यों में जाता है. फिर उन राज्यों से पशुआहार बनकर बिहार में विक्रय के लिए आता है. इससे बिहार के रोजगार को नुकसान होता है, इंडस्ट्री को नुकसान होता है, सरकार को टैक्स का नुकसान होता है. ऐसी स्थिति में या तो फीड बनाने वाले कारखानों को मोलेसेज का लाइसेंस दिया जाय या मोलेसेज को किसी और चीज में मिलाकर प्री मिक्स में लाने की अनुमति दी जाए.

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