बेगूसराय. एक अप्रैल से स्कूली बच्चों को ऑटो और इ-रिक्शा से ले जाने पर प्रतिबंध शुरू हो गया है. इस आदेश से लगभग पांच हजार स्कूली बच्चे प्रभावित होंगे.
200 विद्यालयों में इ-रिक्शा से जाते हैं बच्चे
एक आंकड़े की बात करें तो लगभग 200 निजी विद्यालयों में इ-रिक्शा और ऑटो से बच्चे विद्यालय जाते हैं. अब इन बच्चों के लिए विद्यालय प्रबंधक को बस अथवा मिनी बस की व्यवस्था करनी पड़ेगी. वहीं, कई ऐसे भी बच्चे हैं, जिनके अभिभावक निजी तौर पर भी इ-रिक्शा का उपयोग स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने में करते हैं. ऐसे अभिभावकों के लिए बच्चों को स्कूल पहुंचाना और लाना सिरदर्द साबित होगा.दो हजार इ-रिक्शा बच्चों को लाते-ले जाते हैं स्कूल
सरकार के निर्णय के खिलाफ आंदोलन शुरू
पर्यावरण के हित में बेहतर है इ-रिक्शा
इ-रिक्शा चालकों ने बताया कि जहां एक ओर सरकार इ-रिक्शा से स्कूली बच्चों को लाने और ले जाने पर पाबंदी लगा दी है. वहीं यह वाहन पर्यावरण के क्षेत्र में बेहतर है. बैट्री से चलने वाला इ-रिक्शा कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन नहीं करता है. वहीं, डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहन पर्यावरण को दूषित करते हैं. अत्यधिक कार्बनडाइऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं.अपने निर्णय पर सरकार को विचार करना चाहिए
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है