क्रांतिकारी कवि शक्र की चार दर्जन से अधिक अप्रकाशित रचना को प्रकाशित करवाने वाले मसीहा का इंतजार

अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अखबार निकालने वाले क्रांतिकारी कवि शक्र जिनकी दुनिया मुरीद है, पर उनकी मुरादें पूरी करने में हम अब तक असफल हैं

By AMLESH PRASAD | June 9, 2025 10:14 PM
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बीहट. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अखबार निकालने वाले क्रांतिकारी कवि शक्र जिनकी दुनिया मुरीद है, पर उनकी मुरादें पूरी करने में हम अब तक असफल हैं. उनकी चार दर्जन से अधिक अप्रकाशित रचना को प्रकाशित करवाने वाले मसीहा का अभी भी इंतजार है. उनके पैतृक गांववासियों की मानें तो उनको वह सम्मान नहीं मिल रहा जिसका वह हकदार हैं. महाकवि कालिदास की श्रेष्ठतम रचना मेघदूतम के पद्यानुवाद करने वाले कलम के मजदूर नाम से प्रसिद्ध कविवर रामावतार यादव शक्र आज अपने ही घर में उपेक्षित हो कर रह गयेे. कुछ साल पूर्व उनकी जयंती व पुण्यतिथि पर समिति के लोग, ग्रामीण व जनप्रतिनिधियों ने धरोहर मानते हुए उसकी रक्षा करने का संकल्प व्यक्त किया था लेकिन यहां से जाते ही सब कुछ कागज पर ही सिमट कर रह गया. जिसका नतीजा है आज भी शक्र की लगभग चार दर्जन से अधिक रचनांए अप्रकाशित हैं. कविवर शक्र की जन्मशताब्दी समारोह आयोजन समिति के द्वारा वर्ष 2015 में धूम-धाम से मनाया गया, लेकिन जन्मशताब्दी समारोह के बाद शक्र के पैतृक गृह रूपनगर में उनकी प्रतिमा को लगाने की बात को अगर छोड़ दे, तो उस समय लिए गए निर्णय में से किसी कार्य में कोई प्रगति नहीं हुई. इसमे शक्र की रचनाओं का प्रकाशन, शक्र की पैतृक गृह रूपनगर को साहित्य ग्राम के रूप में विकसित करने व उनके पैतृक भूमि पर स्मारक बनाने, थर्मल बस स्टैंड स्थित शक्र की प्रतिमा लगाने, कविवर शक्र के नाम से उच्च विद्यालय व शक्र द्वार निर्माण समेत कई अन्य कार्य करने की बात कही गयी थी. समिति के लोग बाद के दिनों में निष्क्रिय हो गये. बतातें चले कि अपने समय के नामचीन जनकवि शक्र के द्वारा लगभग चार दर्जन से अधिक रचनाओं में पद्द रचना, गद्द रचना, बाल साहित्य, पद्द नाटिकाएं, नाटक आदि शामिल है. अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हस्त लिखित चिंगार नामक अखबार निकालने वाले कविवर शक्र ने अपने गांव में वर्ष 1929 में वैदेही पुस्तकालय की स्थापना की थी. कविवर शक्र की 38वीं पुण्यतिथि अपने साथ कुछ आशाएं, उम्मीदें साथ लेकर आयी है. कविवर शक्र साहित्य उत्थान समिति द्वारा उनकी प्रसिद्ध रचना श्रमदेवता काव्य पुस्तक का लोकार्पण बहुप्रतीक्षित लोक आंकाक्षा की भावना को पूरी करेगी. शक्र जी की स्मृति तो जनमानस से कभी समाप्त नहीं होगी लेकिन सच तो यह है कि शक्र के गांववासियों की भावना के अनुरूप उनकी धरोहर को बचाने का संकल्प अब धीरे-धीरे ही मूर्त रूप लेने लगा है.

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