ऋषव मिश्रा कृष्णा, भागलपुर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक के तेजी से विस्तार के बीच डीपफेक अब साइबर अपराधियों के लिए नया औजार बन गया है. इस तकनीक के जरिए किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या भाव-भंगिमा की हूबहू नकल कर नकली वीडियो या ऑडियो तैयार किए जा रहे हैं, जो भ्रम फैलाने, बदनाम करने और धोखाधड़ी के इरादे से वायरल किए जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, डीपफेक तकनीक का सबसे अधिक दुरुपयोग राजनेताओं, पत्रकारों, सेलिब्रिटी और प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बनाने में हो रहा है. कई बार आम नागरिक भी इसका शिकार बन रहे हैं, जिससे उनकी सामाजिक और मानसिक प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचता है.
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