bhagalpur news. शराबबंदी सिर्फ कानून नहीं, सामाजिक सुधार की मुहिम है

शराबबंदी कानून ने बिहार के सामाजिक ताने-बाने को सुदृढ़ किया है.

By ATUL KUMAR | May 26, 2025 12:41 AM
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भागलपुर

शराबबंदी कानून ने बिहार के सामाजिक ताने-बाने को सुदृढ़ किया है. यह केवल कानूनी व्यवस्था नहीं, बल्कि समाज में व्यापक सुधार की एक सकारात्मक पहल है. रविवार को प्रभात खबर कार्यालय में आयोजित लीगल काउंसलिंग सत्र में वरीय अधिवक्ता सह विशेष अपर लोक अभियोजक ईश्वरचंद्र झा ने कहा कि शराबबंदी के असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगे हैं. शराबबंदी के बाद घरेलू हिंसा में कमी आई है. पहले नशे की हालत में पतियों द्वारा की जाने वाली मारपीट आम थी, जिससे महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा खतरे में रहती थी. अब महिलाएं खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रही हैं और परिवार की निर्णय प्रक्रिया में उनकी भागीदारी बढ़ी है. बताया कि शराब के नशे में गाड़ी चलाने से होने वाले सड़क हादसों में भी भारी गिरावट आयी है. शराब के कारण जो झगड़े और उपद्रव होते थे, वह अब थम गए हैं. कहा कि बच्चों के जीवन पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ा है. अब माता-पिता बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दे रहे हैं. स्कूल जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है और परिवारों में आर्थिक संतुलन बेहतर हुआ है. शराबबंदी एक सामाजिक सुधार की मुहिम है, जिसे समाज के हर वर्ग को समर्थन देना चाहिए. यह कानून राज्य को एक नई दिशा देने में सफल रहा है.

शराबबंदी कानून के जानने योग्य प्रावधान

लीगल काउंसलिंग में अधिवक्ताओं ने शराबबंदी कानून के प्रावधानों पर भी चर्चा की गयी. कहा कि शराबबंदी कानून के बारे में सभी नागरिकों को जानकारी रखने की जरूरत है. पहली बार शराब पीने पर आपको दो से पांच हजार रुपये तक जुर्माना हो सकता है. फाइन नहीं देने पर एक माह कारावास की सजा भोगनी होगी. अगर कोई दूसरी बार भी शराब पकड़ा जाता है तो एक वर्ष कारावास की सजा हो सकती है. अगर शराब बरामद होता है तो पांच वर्ष तक कारावास और एक लाख तक के अर्थदंड की सजा हो सकती है.

कम शराब बरामद होने की स्थिति में जब्त नहीं होगा वाहन

उच्च न्यायालय के आदेश विनीत कुमार बनाम बिहार सरकार के मामले का जिक्र करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपने कमर में 375 एमएल या इससे कम शराब लेकर बाइक से जा रहा होता है और उसकी गिरफ्तारी होती है तो ऐसी स्थिति में बाइक सीज करने का प्रावधान नहीं है, लेकिन इन दिनों कुछ ऐसे मामले सामने आये हैं जिसमें बाइक को पुलिस सीज कर लेती है.

पूरी निष्पक्षता से कार्रवाई करने की जरूरत

बिहार में शराबबंदी कानून को प्रभावी बनाने में पुलिस की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. कहा कि पुलिस को बिना भेदभाव और पूरी निष्पक्षता से कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि निर्दोष न फंसें और असली अपराधियों पर सख्त कार्रवाई हो. कहा कि समाज में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी भी पुलिस की है. विशेष रूप से बॉर्डर इलाकों की निगरानी पर जोर देते हुए कहा कि अंतरराज्यीय और जिलों की सीमाओं पर सघन चेकिंग अनिवार्य है, क्योंकि अवैध शराब की आपूर्ति अधिकांशतः बाहरी राज्यों से होती है. पुलिस को छोटे-मोटे उपभोक्ताओं की जगह शराब माफियाओं, तस्करों और सप्लाई चेन पर सीधी कार्रवाई करनी चाहिए. कहा कि यदि पुलिस पूरी निष्ठा, सतर्कता और संवेदनशीलता के साथ काम करे, तो शराबबंदी कानून पूरी तरह सफल और समाज के लिए लाभकारी सिद्ध होगा.

1.

एक आपराधिक मामले में मेरे पिता ने थाने में केस किया था, अब उनकी मृत्यु हो गयी है. अब केस का क्या होगा ?

सहाल – केस कंटीन्यू रहेगा. पूरी न्यायिक कार्रवाई विधि सम्मत चलेगी. आप इस मामले को लेकर अपने अधिवक्ता के संपर्क में रहें.

राजेंद्र प्रसाद साह, सजौर

3.

वर्ष 2015 में एक व्यक्ति को पांच लाख रुपये दिया, किसी प्रकार का लिखित नहीं है, लेकिन गवाह है. अब कैसे रकम प्राप्त कर सकते हैं ?

सलाह – सबसे पहले आप अपने अधिवक्ता के माध्यम से रकम लेने वाले व्यक्ति को प्लीडर नोटिस भिजवाएं. उत्तर आने की स्थिति में या नहीं आने की स्थिति में अधिवक्ता से सलाह ले कर आगे की प्रक्रिया करें.

नेशनल हाइवे पर गड्ढे की वजह से अगर कोई हादसे का शिकार हो जाता है तो क्या मुआवजे का प्रावधान है ?

सलाह – हां, आप अपने वकील के माध्यम से सरकार को लीगल नोटिस दें. ऐसे मामलों में मुआवजे का प्रावधान है.

मेरे जमीन की जमाबंदी में भूलवश ढाई डिसमिल जमीन की जमाबंदी भी मेरे नाम से सृजित हो गयी है, क्या करें.

सलाह – आप अंचलाधिकारी या अगर कहीं उक्त मामले का वाद चल रहा है तो वहां जा कर अपनी बात को रखें, उम्मीद है विधि सम्मत कार्रवाई होगी.

दिलीप, कटोरिया, बांका

7.

एके पाठक, तिलकामांझी, भागलपुर

8.

मैं ऑटो चलाता हूं. करीब तीन साल पहले मेरे टोटो पर किसी पेसेंजर ने शराब की एक कार्टन को रख दिया था. पुलिस की जांच हुई तो पेसेंजर शराब को छोड़कर फरार हो गया और मैं पकड़ा गया. जेल से जमानत तो मिली है, लेकिन केस चल ही रहा है, केस कैसे खत्म होगा.

सलाह – सबसे पहले आप वरीय पुलिस पदाधिकारियों को आवेदन दें और मामले की संजीदगी से जांच करने की मांग करें. अगर आपके पास केस में हाजिरी पैरवी के पैसे नहीं हैं तो आप संबंधित न्यायालय से लीगल एड ले सकते हैं.

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