Bihar Agriculture University: बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) सबौर ने भागलपुर जिले के जलजमाव वाले क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष योजना तैयार की है. इस योजना के अंतर्गत मखाना की खेती पर जोर दिया गया है, जो जलजमाव वाले क्षेत्रों के लिए लाभकारी साबित हो सकता है.
पिछले साल, केवीके, सबौर में लगभग आधे एकड़ क्षेत्र में मखाना की खेती की गई थी, जिसका परिणाम बहुत उत्साहवर्धक रहा। इसके बाद, भागलपुर जिले के चयनित प्रगतिशील किसानों के लिए मखाना खेती के प्रयोग को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया.
मखाना में बायोएक्टिव यौगिक की पहचान
BAU के कुलपति डॉ. डीआर सिंह के अनुसार, मखाना के उत्पादन और उसकी लाभप्रदता के लिए विश्वविद्यालय ने हाल ही में मखाना में एक नई बायोएक्टिव यौगिक, N2-आयोडोफेनिल सल्फोनामाइड, की पहचान की है, जिसमें कई औषधीय गुण पाए गए हैं.
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कहलगांव और सुलतानगंज में मखाना की खेती का विस्तार
इस वर्ष मार्च में, कहलगांव के कैरिया गांव और सुलतानगंज के बाथ गांव में लगभग 5 हेक्टेयर भूमि पर मखाना की खेती शुरू की जाएगी. आने वाले वर्षों में, मखाना की खेती को भागलपुर जिले के जलजमाव वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फैलाया जाएगा. यह योजना न केवल किसानों के लिए आय का एक नया स्रोत बनेगी बल्कि जलजमाव वाले क्षेत्रों में कृषि उत्पादकता को भी बढ़ावा देगी. जिससे क्षेत्रीय विकास में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा.