आईजी के आदेश पर हुई कार्रवाई
आईजी के आदेश पर कांड के नौ अनुसंधानकर्ताओं पर विभागीय कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं. इनमें तत्कालीन आइओ इंस्पेक्टर विकास कुमार के अलावा आठ अन्य एसआई और एएसआई स्तर के पुलिस पदाधिकारी शामिल हैं. वहीं, इस लापरवाही की गंभीरता को देखते हुए दो पूर्व डीएसपी- नेसार अहमद शाह और डॉ. गौरव कुमार के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा भी पुलिस मुख्यालय से की गई है.
सात साल की चुप्पी और सड़ गया विसरा
कांड की समीक्षा में यह सामने आया कि सात वर्षों तक न तो अनुसंधानकर्ताओं ने जांच में कोई ठोस कदम उठाया और न ही लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी की ओर से किसी तरह की प्रगति रिपोर्ट दी गई. लापरवाही का आलम यह रहा कि पोस्टमार्टम के लिए सुरक्षित रखा गया विसरा भी सड़ गया, जिससे मामले की वैज्ञानिक जांच संभव नहीं हो पाई. इससे अभियोजन पक्ष की स्थिति भी कमजोर पड़ने की आशंका जताई गई है.
किस पर हुई कार्रवाई?
जिन पुलिस पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी हुए हैं, वे हैं: इंस्पेक्टर विकास कुमार, एसआई नसीम खां, मो. वारिस खान, मो. दिलशाद, संतोष कुमार शर्मा, पुष्पलता कुमारी, संतोष कुमार वर्मा, राकेश कुमार, एएसआई जितेंद्र कुमार. जिन दो डीएसपी के विरुद्ध अनुशासनिक जांच की अनुशंसा की गई है, वे हैं- नेसार अहमद शाह (पूर्व डीएसपी) डॉ. गौरव कुमार (पूर्व डीएसपी).
पीड़िता की आखिरी गवाही भी रही अनसुनी
घटना की शिकार रजनी कुमारी ने 31 मार्च 2018 को अस्पताल में दिए बयान में बताया था कि उसकी शादी अकबरनगर के धर्मवीर रजक से हुई थी और ससुराल में उसे लगातार प्रताड़ित किया जाता था. घटना वाले दिन उसकी सास और गोतनी ने टॉयलेट साफ करने वाला तेजाब जबरन पिला दिया था, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई थी. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई, लेकिन केस दर्ज होने के बावजूद सात साल तक जांच अधूरी पड़ी रही.
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