Bihar News: इच्छामृत्यु के लिए लिखा गया पत्र भी नहीं आया काम, आखिरकार पिता के कंधे पर उठी बेटे की अर्थी

Bihar News: उसने मात्र 15 वसंत देखे थे. उसकी जिंदगी की शाम इतनी जल्दी हो जायेगी, उसे यह आभास बहुत दिनों तक नहीं था. जब लगातार अस्पतालों के चक्कर लगने लगे, उसकी जिंदगी व्हीलचेयर पर गुजरने लगी, तो उसने मान लिया कि अब मौत करीब है, फिर भी उसके शिक्षक पिता दिलासा देते रहे कि तुम चलोगे, बहुत दूर तक जाओगे. वह सही में बहुत दूर चला गया. परिजनों को दर्द की एक अंतहीन सड़क पर छोड़ कर वह वहां चला गया, जहां से लौट कर कोई वापस नहीं आता. उसने सपना देखा था कि वह कॉमिक्स लिखेगा और दुनिया को उपहार देगा, लेकिन तकदीर ने कुछ ऐसी लकीर खींच दी कि वह अस्पताल के बेड पर दवा के अभाव में तड़पता रहा, मौत से जंग लड़ता रहा. जिंदगी देने वाले से कुछ वक्त की मोहलत मांगता रहा कि तेरी दुनिया से अभी जी नहीं भरा है, मुझे कहानी लिखनी है, लोगों का प्यार पाना है. मौत से कहता रहा कि थोड़ी देर ठहर, अभी तो जिंदगी के सभी पन्ने कोरे हैं, उसमें रंग तो भरने दे... पर यह हो न सका. अंतत: मौत उससे जीत गयी.

By Radheshyam Kushwaha | May 25, 2025 4:14 PM
feature

संजीव सौरभ/राशिद आलम. Bihar News: भागलपुर. असाध्य बीमारी से ग्रस्त अपने बच्चे की इलाज के लिए सरकार से विनती करने वाले शिक्षक अपने बच्चे को बचा नहीं सके. उन्होंने सरकार को पूरे परिवार की इच्छामृत्यु के लिए पत्र भी लिखा था, पर वह भी काम न आया. 23 मई को भागलपुर स्थित एक निजी क्लिनिक में नवगछिया प्रखंड के कार्तिक नगर कदवा के शिक्षक घनश्याम कुमार के पुत्र अनिमेष अमन की मौत हो गयी. छोटा भाई भी मौत से जंग लड़ रहा है. शिक्षक घनश्याम कुमार कहते हैं कि सरकार की गलत नीति व असंवेदनशील रवैये के कारण मेरे पुत्र को पीटीसी एटलरीन नामक दवा रहते हुए उपलब्ध नहीं करवाया गया.

इलाज के अभाव में हो गयी मौत

पुत्र तड़प-तड़प कर इलाज के अभाव में मौत के आगोश में समा गया. मेरे बेटे ने सपना था कि कॉमिक्स लिखूंगा. इसे पूरे दुनिया को उपहार के रूप में दूंगा, लेकिन वह सपना अधूरा रह गया. वह हम सबको छोड़ कर चला गया. पुत्र की मौत बहुत कष्टदायक होती है, जिसे हम बयां नहीं कर सकते हैं. शिक्षक ने पुत्र के इलाज के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पूरे परिवार की इच्छा मृत्यु की मांग की थी. शिक्षक के दोनों पुत्रों को ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी है, जो बेहद खतरनाक मानी जाती है. इलाज में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं.

50 लाख रुपये से अधिक बेटे के इलाज में कर चुका था खर्च

घनश्याम कुमार ने कहा कि एम्स दिल्ली समेत दर्जन भर से अधिक सरकारी व निजी अस्पतालों में अपने दोनों बेटे अनिमेष अमन (15) व अनुराग आनंद (10) का इलाज करवाया. 15 वर्षों में मैंने लगभग 50 लाख रुपये से अधिक इलाज में खर्च किये हैं, लेकिन सरकारी तंत्र और अधिकारियों ने अब तक कोई मदद नहीं की है. छोटा बेटा अब भी  अपनी जिंदगी व्हीलचेयर पर ही गुजार रहा है. सरकार इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की ओर ध्यान केंद्रित करे, ताकि ऐसे तमाम मासूम बच्चों की जान बचायी जा सके.  

क्या है ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी?

डीएमडी एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें मांसपेशियों में लगातार कमजोरी बढ़ती है. इसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है. इस बीमारी में शरीर के मांसपेशियों में पाये जाने वाला प्रोटीन, जिसको डिस्ट्राफिन कहते हैं, उसका बनना बंद हो जाता है और वह सूखती जाती है. बच्चों के चलने, खड़ा होने, खाने और सांस लेने में परेशानी होने लगती है.

Also Read: पटना के नये टर्मिनल से भी बड़ा होगा बिहटा एयरपोर्ट का टर्मिनल, पीएम नरेंद्र मोदी इस दिन करेंगे शिलान्यास

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

यहां भागलपुर न्यूज़ (Bhagalpur News), भागलपुर हिंदी समाचार (Bhagalpur News in Hindi),ताज़ा भागलपुर समाचार (Latest Bhagalpur Samachar),भागलपुर पॉलिटिक्स न्यूज़ (Bhagalpur Politics News),भागलपुर एजुकेशन न्यूज़ (Bhagalpur Education News),भागलपुर मौसम न्यूज़ (Bhagalpur Weather News)और भागलपुर क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version