इलाज के अभाव में हो गयी मौत
पुत्र तड़प-तड़प कर इलाज के अभाव में मौत के आगोश में समा गया. मेरे बेटे ने सपना था कि कॉमिक्स लिखूंगा. इसे पूरे दुनिया को उपहार के रूप में दूंगा, लेकिन वह सपना अधूरा रह गया. वह हम सबको छोड़ कर चला गया. पुत्र की मौत बहुत कष्टदायक होती है, जिसे हम बयां नहीं कर सकते हैं. शिक्षक ने पुत्र के इलाज के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पूरे परिवार की इच्छा मृत्यु की मांग की थी. शिक्षक के दोनों पुत्रों को ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी है, जो बेहद खतरनाक मानी जाती है. इलाज में करोड़ों रुपये खर्च होते हैं.
50 लाख रुपये से अधिक बेटे के इलाज में कर चुका था खर्च
घनश्याम कुमार ने कहा कि एम्स दिल्ली समेत दर्जन भर से अधिक सरकारी व निजी अस्पतालों में अपने दोनों बेटे अनिमेष अमन (15) व अनुराग आनंद (10) का इलाज करवाया. 15 वर्षों में मैंने लगभग 50 लाख रुपये से अधिक इलाज में खर्च किये हैं, लेकिन सरकारी तंत्र और अधिकारियों ने अब तक कोई मदद नहीं की है. छोटा बेटा अब भी अपनी जिंदगी व्हीलचेयर पर ही गुजार रहा है. सरकार इस बीमारी से ग्रसित बच्चों की ओर ध्यान केंद्रित करे, ताकि ऐसे तमाम मासूम बच्चों की जान बचायी जा सके.
क्या है ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी?
डीएमडी एक अनुवांशिक बीमारी है, जिसमें मांसपेशियों में लगातार कमजोरी बढ़ती है. इसकी शुरुआत बचपन में ही हो जाती है. इस बीमारी में शरीर के मांसपेशियों में पाये जाने वाला प्रोटीन, जिसको डिस्ट्राफिन कहते हैं, उसका बनना बंद हो जाता है और वह सूखती जाती है. बच्चों के चलने, खड़ा होने, खाने और सांस लेने में परेशानी होने लगती है.
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