बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के पुस्तकालय भवन के पीछे सिंदूर पार्क तैयार किया गया है. इसमें कुल 200 सिंदूर के पौधे लगाये गये हैं. विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ साजिदा ने बताया कि सिंदूर नाम से ही हर कोई इसे जानते हैं. बताया कि पिछले एक साल से कुलपति के निर्देशन में वैज्ञानिकों ने सिंदूर के पौधे व बीज और उस बीज से सिंदूर बनाने की प्रक्रिया पर अनुसंधान कर रहे हैं. बताया कि प्राकृतिक पौधे से तैयार सिंदूर से महिलाओं को किसी तरह की कोई त्वचा से संबंधित बीमारी नहीं होती है. वहीं बाजार में उपलब्ध सिंदूर को केमिकल से तैयार किया जाता है, जिससे त्वचा से संबंधित बीमारी होने की संभावना रहती है. बताया कि आने वाले समय में विश्वविद्यालय की ओर से किसी गांव को गोद लेकर सभी परिवार को दो-दो सिंदूर का पौधा उपलब्ध कराया जायेगा. बताया कि सिंदूर के पौधा से एक साल बाद बीज पककर तैयार हो जाता है. उसके बाद उसे तोड़कर उसके अंदर के रंग वाले बीज को पीसकर उपयोग में लाया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर सिंदूर को खाने योग्य बनाने के लिए अनुसंधान जारी है. कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश के वीर जवानों द्वारा चलाये गये ऑपरेशन सिंदूर का नाम देना कोई मामूली बात नही है. सिंदूर हर घर की बात है. कहा कि गर्व की भी बात है हमारे विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सिंदूर के पौधे को बिहार में पहला पार्क का रूप दिया है. इस पार्क का उद्घाटन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान 26 जुलाई को करेंगे. विश्वविद्यालय के पीआरओ डॉ राजेश कुमार ने बताया कि यह बिहार का पहला सिंदूर पार्क है. कहा कि सिंदूर के पौधा अगर किसान लगाते हैं तो आर्थिक लाभ मिलने की ज्यादा संभावना है.
संबंधित खबर
और खबरें