bhagalpur news. तीन लाख रुपये में अभिलेखागार से जमीन की फाइलों को चोरी करने की हुई थी डील, तीन गिरफ्तार

भू-माफियाओं का सिंडिकेट लाखों रुपये खर्च कर जिला निबंधन कार्यालय के अभिलेखागार से अभिलेखों की चोरी कराता है. फिर अभिलेखों में छेड़छाड़ कर जमीन की खरीद-ब्रिकी का धंधा करता है.

By NISHI RANJAN THAKUR | April 22, 2025 12:30 AM
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भू-माफियाओं का सिंडिकेट लाखों रुपये खर्च कर जिला निबंधन कार्यालय के अभिलेखागार से अभिलेखों की चोरी कराता है. फिर अभिलेखों में छेड़छाड़ कर जमीन की खरीद-ब्रिकी का धंधा करता है. इससे अरबों-खरबों की संपत्ति अर्जित की जाती है. भागलपुर में हुई चोरी के पीछे कटिहार और पूर्णिया में बैठे जमीन माफियाओं को नाम आया है, जो अभिलेखों की चोरी कराते हैं, हेराफेरी कर भू-स्वामी का नाम बदल देते हैं. सितंबर 2024 में जिला निबंधन कार्यालय के अभिलेखागार भवन में हुई चोरी के मामले का उद्भेदन होने के बाद यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है. सितंबर 2024 में हुई चोरी में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें कटिहार जिला के डंडखोरा थाना क्षेत्र के नीमाकोल निवासी अख्तर अंसारी, सकरपुरा निवासी रोहताज खान उर्फ एमपी खान और हाजीटोला निवासी भास्कर खान उर्फ रजब खान शामिल हैं. सोमवार को एसपी सिटी शुभांक मिश्रा ने प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी. मामले में पुलिस को यह जानकारी मिली है कि कटिहार और पूर्णिया के रहने वाले भू-माफियाओं ने भागलपुर निबंधन कार्यालय के अभिलेखागार से अभिलेखों की चोरी करने के लिए रजब खान उर्फ भास्कर खान से 3 लाख रुपये की डील की थी. इसके लिए रजब ने अख्तर और रोहताज को चोरी करने के लिए 25 सितंबर 2024 को तड़के सुबह अभिलेखागार में भेजा था. वहीं चोरी करने के लिए भू-माफियाओं द्वारा की गयी डील की पूरी रकम चुकता नहीं करने पर उन लोगों ने पांच रजिस्टर को अपने पास रख लिया था. पेमेंट पूरा होने के बाद ही उक्त रजिस्टर को भी भू-माफियाओं को सौंपने की बात हुई थी. इसी बीच भागलपुर पुलिस ने मामले में तीनों को गिरफ्तार कर चोरों के पास रखे पांच रजिस्टर को बरामद कर लिया. एसपी सिटी शुभांक मिश्रा ने बताया कि अख्तर व रोहताज की गिरफ्तारी 13 अप्रैल को हुई. 14 अप्रैल को दोनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया. 16 अप्रैल को जोगसर पुलिस ने अख्तर व रोहताज को पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने की अर्जी दी. कोर्ट ने दोनों को 48 घंटे के रिमांड पर लेने की स्वीकृति दी. 17 व 18 अप्रैल को रिमांड पर पूछताछ के दौरान अख्तर व रोहताज ने भास्कर का नाम लिया था. जोगसर पुलिस ने रविवार को भास्कर को कटिहार से गिरफ्तार कर लिया. मामला दर्ज किये जाने के बाद सीनियर एसपी द्वारा डीएसपी सिटी के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गयी. इसमें जोगसर थानाध्यक्ष इंस्पेक्टर कृष्णनंदन कुमार सिंह, डीआइयू प्रभारी इंस्पेक्टर रंजीत कुमार, जोगसर थाना के एसआइ और केस के अनुसंधानकर्ता योगेश कुमार, एसआइ राजेश कुमार महतो, एएसआइ सतीश कुमार, एएसआइ गोपाल शर्मा, डीआइयू के एसआइ एजाज रिजवी, एसआइ अभय कुमार, एसआइ सुशील राज, सिपाही अभिमन्यु कुमार, सिपाही प्रकाश कुमार, सिपाही अमित कुुमार, जोगसर थाना के सिपाही विकास कुमार, सिपाही नीरज कुमार और महिला सिपाही कुमारी स्वाति रंजन शामिल थीं. पूर्णिया में रहने वाले कटिहार निवासी सुरेश सिंह और उसके भतीजा प्रद्युमन मुखिया ने करवाई थी चोरी

जिला निबंधन कार्यालय स्थित अभिलेखागार में हुई चोरी मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सबसे बड़ा खुलासा यह है कि भागलपुर निबंधन कार्यालय में अभिलेखों की चोरी करवाने वाले भू-माफियाओं का सिंडिकेट महज कटिहार, पूर्णिया और भागलपुर ही नहीं बल्कि पूरे राज्य में फैला हुआ है. बताते हैं कि रजब खान उर्फ भास्कर खान की पहचान रियल एस्टेट का काम करने वाले कटिहार के सरिता विहार निवासी सुरेश सिंह से थी. सुरेश सिंह पूर्णिया में रहता है और कटिहार जिला के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के दलन गांव के रहने वाले 30 वर्षीय भतीजा प्रद्युमन उर्फ मुखिया जी के साथ मिलकर काम करता है. सुरेश व प्रद्युमन ने रजब खान के साथ भागलपुर निबंधन कार्यालय से अभिलेखों की चोरी करवाने के लिए डील की थी. इसके लिए तीन लाख रुपये देने की बात तय हुई थी. रजब खान ने उनके कहने पर अपने गांव और आसपास गांव के रहने वाले अरमान, आरजू खान, अख्तर अंसारी, रोहताज खान उर्फ एमपी खान को मोटी रकम दिलाने के नाम पर चोरी करवाने के लिए तैयार किया था. इन्हें प्रद्युमन उर्फ मुखिया जी अपने साथ कार पर लेकर भागलपुर निबंधन कार्यालय की रेकी कराने ले गये. निबंधन कार्यालय में मौजूद अपने कुछ करीबी कर्मियों के माध्यम से उन्होंने अभिलेखागार में घुस कर उन फाइलों की जानकारी दी, जिसे चोरी करवाया जाना था. इसके बाद 25 सितंबर 2024 को तड़के सुबह चोरों ने मिल कर अभिलेखागार की छत से वहां प्रवेश किया और फाइलों की चाेरी कर चले गये.

अभिलेखों से छेड़छाड़ कर बदला जाता है भू-स्वामी का नाम

1950, 1978, 1984, 1985, 1990 और 1991 के पांच रजिस्टर किये गये बरामद

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