World Sparrow Day : घर में 100 कृत्रिम घोंसला बना कर 50 जोड़ी गोरैया को संरक्षण दे रहे गंगा प्रहरी दीपक

गोरैया बिहार का राजकीय पक्षी है. लेकिन हाल के वर्षों में गौरैया की सांख्य काफी कम हुई है. ऐसे में इनके संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व गोरैया दिवस हर वर्ष 20 मार्च को मनाया जाता है.

By Anand Shekhar | March 19, 2024 7:51 PM
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गौतम वेदपाणि, भागलपुर. कभी घर आंगन में दिनभर फुदकने-चहकने वाली गोरैया या बगरो के लिए हमने अपने घराें के दरवाजे व खिड़कियां बंद कर ली है. बरामदे पर लगे पौधे व झाड़ियों को काट कर इसकी जगह कंक्रीट के दीवारें खड़ी कर दी है. एसी की ठंडी हवा खाने के लिए रोशनदान को ढंक दिये हैं. यह स्थिति सिर्फ शहरों की नहीं, बल्कि गांवों व कस्बों की भी है. लोगों की इस बेरुखी के कारण बीते एक दशक में इंसानों के साथ-साथ रहने वाली बिहार के राजकीय पक्षी  गोरैया  की चहचहाहट काफी कम हुई है. लेकिन हाल के वर्षों में गोरैया के संरक्षण के लिए कई पक्षी प्रेमी, निजी व सरकारी संस्थान आगे आये हैं.

आँगन में फुदकती गौरेया

गोरैया के लिए दीपक ने बनाए कृत्रिम घोंसले

भागलपुर शहर में भी कई लोग गोरैया की देखभाल में जुटे हुए हैं. इनमें से एक हैं मुंदीचक निवासी दीपक कुमार. भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के गंगा प्रहरी स्पेयरहेड के पद पर कार्यरत दीपक ने अपने घर में गौरैया के संरक्षण के लिए करीब 100 कृत्रिम घोंसला लगाया है. इन कृत्रिम घोंसलों में करीब 50 जोड़े गोरैया रहते हैं. दीपक इन गोरैया के खानपान के लिए धान के बालियां या बीड़े को टांग कर रखते हैं. पक्षियों के खाने के लिए रोजाना अपने छत पर अनाज बिखेरते हैं.

प्रजनन काल चल रहा

दीपक बताते हैं कि इन दिनों गोरैया का प्रजनन काल चल रहा है. अप्रैल में गोरैया अंडे देगी. अगर लोग अपने घरों में फिर से गोरैया को वापस लाना चाहते हैं तो कागज व लकड़ी का कृत्रिम घोंसला जरूर लगायें. घर आंगन में अनाज व पानी की व्यवस्था रखें. पर्यावरण की साथी गोरैया के संरक्षण के लिए शहर के लोग आये आयें.

सरकारी भवनों में संरक्षण के लिए लगेंगे कृत्रिम घोंसले : डीएफओ

भागलपुर वन प्रमंडल पदाधिकारी श्वेता कुमारी ने बताया कि बिहार के राजकीय पक्षी गोरैया के संरक्षण के लिए सभी सरकारी भवनों में कृत्रिम घोंसला लगाया जायेगा. इसकी शुरुआत हर साल 20 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व गौरैया दिवस से शहर के जयप्रकाश उद्यान से की जायेगी. गोरैया के आवास के लिए शमी के पौधे लगाये जायेंगे. साथ ही जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को अपने घरों में भी कृत्रिम घोंसला व पानी का पात्र रखने की गुजारिश की जायेगी.

शहर में फिर से गोरैया की संख्या बढ़ने लगी

जीव विज्ञान के प्राध्यापक व जेपी विवि छपरा के पूर्व कुलपति डॉ फारुक अली बताते हैं कि गोरैया का वैज्ञानिक नाम पैसेर डोमेस्टिकस है. पहले गांव व कस्बों में पुआल, मिट्टी, बांस से बने घरों की बहुलता रहती थी. इसमें गोरैया अपना घोंसला बनाती थी. अब वह स्थिति नहीं है. वहीं मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा बताते हैं कि शहर के जयप्रकाश उद्यान, रेलवे स्टेशन, गंगा नदी के किनारे की झाड़ियां, सुंदरवन समेत विभिन्न आवासीय क्षेत्र में गोरैयों का झुंड रहता है. धीरे-धीरे शहर में फिर से गोरैया की संख्या बढ़ने लगी है.

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