भागलपुर में 365 दिनी सहजन की खेती शुरू, किसानों को मिल रहा है बढ़ावा

एक साल पहले नाथनगर के गुंजेश गुंजन ने हैदराबाद से 100 पौधे मंगवाए थे. अब शाहकुंड समेत अन्य जिलों के किसान भी पौधे खरीद रहे हैं. दो साल पहले उद्यान विभाग ने किसानों को 10 हेक्टेयर के लिए 37 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया था, अब किसानों को किया जा रहा जागरूक

By Anand Shekhar | April 29, 2024 6:10 AM
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Agriculture News: पिछले साल फिट इंडिया मूवमेंट की पहली सालगिरह पर सहजन का हेल्दी फूड के रूप जिक्र किया गया था. इसकी खेती को बढ़ावा देने की बात कही गयी थी. भागलपुर व आसपास क्षेत्रों में पहले से सहजन की खेती एक मौसम वाली होती थी और अब तीन सीजन वाली 365 दिनी सहजन की खेती शुरू हो गयी है. इस पेड़ में हरेक दिन नये सहजन के फल्ली उगते हैं. ऐसे में किसी दिन पेड़ सहजन से खाली नहीं रहता है. यह खेती नाथनगर कजरैली के गुंजेश गुंजन कर रहे हैं.

एक एकड़ भूमि में सहजन लगा शुरू की खेती

गुंजेश गुंजन ने बताया कि एक साल पहले हैदराबाद से 100 पौधे लाकर एक एकड़ में खेती शुरू की. अब तो खुद पौधे तैयार कर रहे हैं, जो कि 50 रुपये प्रति पौधे तक बिक रहे हैं. इसे शाहकुंड, जगदीशपुर समेत बांका, जमुई के किसान भी खरीद कर ले जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि यहां का सामान्य सहजन गर्मी के दिन में होता है, जो कि मोटा होने पर तीखा लगने लगता है या कीड़ा हो जाता है. यह सहजन जितना मोटा होता है, उतना ही स्वादिष्ट होता है. गुद्दादार सहजन अधिक फायदेमंद होता है. अन्य प्रगतिशील किसानों के बीच खेती का प्रशिक्षण दे रहे हैं.

चार प्रखंडों में उद्यान विभाग की ओर से सहजन की खेती को मिला बढ़ावा

जिला उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अभय कुमार मंडल ने बताया कि दो साल पहले यहां 10 हेक्टेयर खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 37 हजार रुपये तक अनुदान दिया गया था. भागलपुर के चार प्रखंडों पीरपैंती, कहलगांव, नाथनगर व सबौर में सहजन की खेती की योजना बनायी गयी थी. सबौर स्थित उद्यान विभाग की पौधशाला में सहजन के पौधे तैयार किये गये थे. विशेष फसल योजना सहजन क्षेत्र विस्तार के तहत दो कलस्टर का चयन किया गया. अब भी समय-समय पर किसानों को सहजन की खेती के लिए जागरूक किया जाता है.

खाड़ी देशों में सहजन के पत्तों की हो चुकी है डिमांड

सहजन को लोग मोरिंग व मूंगा भी कहते हैं. सहजन का इस्तेमाल अधिकतर लोग सब्जी के रूप में करते हैं. अब तो लोग इसकी पत्ती का उपयोग जूस के रूप से कर रहे हैं. खाड़ी देशों द्वारा भागलपुर के कृषक निर्यातक से सहजन के पत्ती का पाउडर की डिमांड लगभग 10 टन में की गयी है.

सहजन के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी

आयुर्वेदिक चिकित्सक डाॅ राधेश्याम अग्रहरि ने बताया कि सहजन के सेवन से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और खतरनाक संक्रमण से भी बचा जा सकता है इसके अलावा पेट में दर्द, अल्सर आदि को भी दूर किया जा सकता है. यह सब्जी लीवर और किडनी को डिटॉक्सीफाई करने, तनाव, चिंता दूर करने, थायराइड फंक्शन में सुधार करने और ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को बढ़ाने का भी काम बखूबी करती है.

जब इसे तिल के तेल के साथ मिलाया जाता है, तो सहजन (ड्रमस्टिक) द्वारा उत्पादित गम, पाचन संबंधी समस्याओं, सिरदर्द, दस्त (पेट में संक्रमण), बुखार और अस्थमा जैसी बीमारियों में भी आपकी मदद कर सकता है. सहजन (ड्रमस्टिक) की जड़ की छाल का रस कान (कान के अंदर दर्द) में दर्द और दांतों में दर्द को कम कर सकता है.

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