बीएयू सबौर में चार दिवसीय 29वीं शोध परिषद खरीफ 2025 की बैठक का शुभारंभ शुक्रवार को किया गया. उद्घाटन बीएयू के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने किया. डॉ एके सिंह निदेशक अनुसंधान द्वारा स्वागत भाषण और विश्वविद्यालय द्वारा चलाई जा रही शोध परियोजना और रणनीतियों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई. उन्होंने विवि द्वारा विगत वर्षों में विकसित किस्म का किसानों के बीच लोकप्रियता के बारे में जानकारी दी. बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वर्ष 2047 में विकसित भारत का लक्ष्य रखा है और यह विकसित कृषि से ही संभव होगा. 2047 में एक विकसित किसान का मानक बताते हुए कहा कि तब तक एक किसान को सालाना 12 लाख की औसत आमदनी होनी चाहिये. उन्होंने भारत में कृषि उत्पादन की वृद्धि पर कहा कि पहले हम खाद्य सामग्री खरीदते थे, लेकिन आज हमारे पास फसल का उत्पादन इतना होता है कि किसान को कम कीमत मिलने के कारण फेंकना पड़ता है. आज परवल इतना सस्ता है कि किसान को खरीदार नहीं मिल रहें, जिस कारण उन्हें फेंकना पड़ रहा है. यही हाल कभी टमाटर तो कभी गोभी का होता है. कहा कि हमें उत्पादन को प्रबंध करना होगा. इसके लिए शोधकर उत्पादों की सेल्फ लाइफ बढ़ानी होगी. कहा कि एक ही जिले और प्रखंड में खेती के अलग-अलग पैटर्न होते है, जिसे हमारे वैज्ञानिकों को समझना होगा. हमें खाद्यान्न सुरक्षा तो मिल गई, लेकिन अब हमें न्यूट्रिशन सुरक्षा पर ध्यान देना है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के संयुक्त निदेशक डॉ रविंद्र नाथ पडारिया ने कहा कि खेती अब सिर्फ मिट्टी से हाथ गिला करने भर से नहीं, बल्कि एक विज्ञान बन गया है. यह एक नई सोच पर आधारित है. भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉक्टर पीके सिंह ने भारत सरकार की आगामी योजनाओं और मिशन की जानकारी दी. कहा कि सरकार द्वारा देश भर में सेंटर आफ एक्सीलेंस खोले जा रहे है और हमारी कोशिश है कि बीएयू सबौर में भी कई सेंटर मिले. इसके अतिरिक्त कई गणमान्य वैज्ञानिकों ने सभा को संबोधित करते हुए अपनी प्रस्तुतीकरण दी, जिसमें डाॅ एनएस राणा पूर्व अधिष्ठाता सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय मेरठ, डॉ जगदीश प्रसाद आइसीएआर एनबीएस और एलयूपी नागपुर जैसे प्रख्यात विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किया. प्रगतिशील किसान विनीता देवी पूर्णिया, धनंजय कुमार सिंन्हा नालंदा और नवल किशोर सिंह पटना ने भी अपने अनुभव साझा किया. बैठक में कई प्रकाशनों का विमोचन किया गया.
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