बिहार के इस जिले में सिर्फ पांच रुपये प्रति किलो मिल रही खाद, लेकिन छह महीने में एक मुट्ठी भी नहीं बिकी, जानिए वजह

Bihar News: भागलपुर नगर निगम की भूतनाथ कंपोस्ट फैक्ट्री छह महीने की मेहनत के बाद भी भारी फजीहत झेल रही है. कूड़े से बनी खाद का अब तक एक मुट्ठी भी बिक्री नहीं हो सकी है. पांच रुपये किलो की दर तय होने के बावजूद बाजार में खरीदार नहीं मिल रहे हैं. तैयार खाद फैक्ट्री में ही डंप होती जा रही है.

By Abhinandan Pandey | July 15, 2025 9:11 PM
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Bihar News: (ब्रजेश, भागलपुर) भागलपुर के भूतनाथ मंदिर मार्ग स्थित नगर निगम की खाद फैक्ट्री आय का जरिया बनने की बजाय अब खुद भारी बोझ बन चुकी है. छह महीने से नियमित उत्पादन के बावजूद एक मुट्ठी खाद तक नहीं बिक पायी है. प्रयोगशाला से पास, दर तय, नामकरण पूरा यानी, सब कुछ होने के बाद भी बाजार में इस खाद को कोई पूछने वाला नहीं है. आय बढ़ाने की बजाय यह परियोजना अब निगम की कार्यशैली और योजनाओं की विफलता की मिसाल बनती जा रही है. जबकि, आय का श्रोत बढ़ाने के लिए इस पर निगम का सबसे ज्यादा फोकस रहा है.

पांच रुपये प्रति किलो निर्धारित किया गया है रेट

इस फैक्ट्री में तैयार खाद की बिक्री के लिए रेट पांच रुपये प्रति किलोग्राम निर्धारित किया है. खाद का नामकरण म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, भागलपुर से हुआ है और उत्पादन भी नियमित रूप से हो रहा है. बावजूद, इसके खाद की बिक्री करने में फेल साबित हो गया है. दरअसल, प्रचार-प्रसार और मार्केटिंग की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं की जा सकी है. खाद का भंडारण लगातार हो रहा है, लेकिन खरीदार नहीं मिलने से यह योजना ठप पड़ गयी है.

खाद की खपत बढ़ाने पर सरकार नहीं ले रही दिलचस्पी

जानकारों का मानना है कि यदि पंचायत, किसान समूह और सरकारी कार्यालयों से समन्वय बनाया जाये तो इस खाद की खपत को बढ़ाया जा सकता है. लेकिन, इसको लेकर नगर सरकार और निगम प्रशासन दिलचस्पी नहीं ले रही है. फिलहाल, यह योजना निगम के लिए आय का स्रोत बनने की बजाय बोझ बनकर रह गयी है. बिक्री के संबंध में नगर निगम के सहायक लोक स्वच्छता एवं अपशिष्ट प्रबंधन पदाधिकारी शशिभूषण सिंह बात करने की कोशिश की गयी तो उनकी ओर से फोन रिसीव नहीं किया गया.

इतने लोगों का फोकस

  • निगम लगातार फंडिंग और मॉनीटरिंग कर रहा है.
  • सफाई एजेंसी नियमित गिरा रहा कूड़ा.
  • 10 महिलाओं की समूह कर रही रोज काम.
  • जैविक खाद प्रोसेसिंग यूनिट की देखरेख के लिए इंचार्ज और सहकर्मी की तैनाती.
  • नगर सरकार और पार्षद की भी हो रही देखरेख

50 क्विंटल से ज्यादा तैयार हो चुकी खाद

भूतनाथ कंपोस्ट फैक्ट्री में तैयार खाद के पैकेट की ढेर लगने लगी है. अब तक 50 क्विंटल से अधिक कंपोस्ट खाद तैयार की जा चुकी है. फैक्ट्री में नगर क्षेत्र से इकट्ठा किये गये कूड़े को सड़ाकर कंपोस्ट खाद में बदला जा रहा है. निगम के अनुसार कंपोस्ट पिट में अभी मौजूद कचरे से करीब 10 क्विंटल अतिरिक्त खाद तैयार होने की संभावना है. खाद का बाजारीकरण नहीं होने के कारण इसका भंडारण बढ़ता जा रहा है. स्थिति यह है कि उपयोग न होने से तैयार खाद धीरे-धीरे डंप होती जा रही है.

अत्याधुनिक मशीन पर इंवेस्टमेंट से नहीं निकल रहा एक पैसा

कंपोस्ट पिट में लगायी गयी अत्याधुनिक मशीन पर हुए निवेश से अब तक एक भी पैसा वापस नहीं आ सका है. न तो बिक्री होने के कारणों की पहचान की जा रही है और न ही इसके समाधान की कोई ठोस पहल की जा रही है.

इंचार्ज के भरोसे छोड़ी गयी फैक्ट्री, खाद की जानकारी देने वाला कोई नहीं

नगर निगम ने खाद फैक्ट्री की जिम्मेदारी इंचार्ज नंदू नामक कर्मचारी को सौंप रखी है. उनसे लोगों का भेंट नहीं हाेता है. वहीं, एक गोपी नामक व्यक्ति, जो स्वयं को अनुबंध पर कार्यरत बताता है, फैक्ट्री की देखरेख की जिम्मेदारी संभाल रहा है. विडंबना यह है कि लोग भी जब उससे खाद की दर या अन्य जानकारी के बारे में पूछी जाती है, तो वह स्पष्ट रूप से कह देता है कि वह केवल देखरेख के लिए है. स्थिति यह है कि यदि कोई व्यक्ति खाद खरीदने या जानकारी लेने पहुंचता है, तो उसे उचित जवाब नहीं मिल पाता और उसे खाली हाथ लौटना पड़ता है. इस वजह से खाद की बिक्री पर भी सीधा असर पड़ रहा है. जिम्मेदारी तय न होने और स्टाफ की स्पष्ट भूमिका के अभाव में निगम की यह योजना फीकी पड़ी है.

खाद का स्टॉक फंसा, तो दोपहर एक बजे तक ही चल रही फैक्ट्री

भूतनाथ कंपोस्ट फैक्ट्री में तैयार खाद की खपत न होने के कारण स्टॉक का ढेर लग गया है. संभवत: इसी कारणवश उत्पादन समय में कटौती कर दी गयी है. फैक्ट्री दोपहर एक बजे तक ही संचालित होती है. खाद तैयार करने वाले श्रमिकों की संख्या भी सीमित है. फिलहाल सिर्फ 10 महिलाओं को इस कार्य में लगाया गया है.

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