जिला पशुपालन विभाग की ओर से पंचवर्षीय पशुगणना कार्यक्रम का फाइनल रिपोर्ट जारी नहीं हो सकी है. बार-बार तिथि बदलने के बाद अब विभाग को मुख्यालय से फाइनल रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश नहीं मिल पाया है. सबसे पहले 28 फरवरी को तिथि निर्धारित थी, फिर एक माह बढ़ा कर 30 मार्च, फिर 30 अप्रैल किया गया. लगातार तिथि बदलने के बाद भी डेढ़ माह से अधिक बीत गये. 25 नवंबर को शुरू हुई पशुगणना अब तक पूरी नहीं हो पायी. फाइनल डाटा तैयार होने में विलंब हो रहा है. हालांकि अब तक की गणना के अनुसार पिछले गणना की तुलना में जिले में 23 फीसदी पशु गये हैं. फरवरी तक कुल 4.7448 लाख पशुओं व नौ लाख पक्षियों की गणना हो पायी थी. पशुगणना कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी डॉ संतोष कुमार ने बताया कि यह गणना प्रत्येक पांच वर्षों में होती है. 220 प्रगणन व 37 पर्यवेक्षक दिन-रात काम में लगे हैं, ताकि इस कार्य को पूरा किया जा सके. नौ लाख पक्षियों की गणना में 90 प्रतिशत कुक्कुट है, बाकी बत्तख, बटेर व कबूतर हैं. पशुओं में अलग-अलग डाटा कार्य पूरा होने के बाद ही इसे तैयार किया जा सकेगा. प्रगणक स्तर तक प्रतिदिन मॉनीटरिंग की जा रही है. इन पशुओं की होनी है गिनती मुख्य रूप से गाय, भैंस, बकरियां, सुअर, घोड़ा, कुत्ते, मुर्गा, बत्तख व अन्य तरह के जीव-जंतु हैं, जिनकी गिनती की जानी है. नोडल पदाधिकारी डॉ संतोष कुमार ने बताया कि हर पांच साल में पशुगणना होती है. पांच साल पहले हुई गिनती में 8.97 लाख गाय व भैंस मिले थे. वहीं 4.80 लाख बकरी व भेड़ की गिनती हुई थी. पहले आइडी नहीं मिलने से पशुगणना में हुई थी देरी पशुधन गणना कार्यक्रम पर सांकेतिक उद्घाटन के बाद ब्रेक लग गया था. आइडी नहीं मिलने की वजह से गणना रोकनी पड़ी थी. केंद्र सरकार की ओर से आइडी मिलने के बाद ही एप पर पशुओं की गिनती का डाटा तैयार किया जाना था. तिलकामांझी स्थित जिला पशुपालन विभाग के कार्यालय से एमएलसी डॉ एनके यादव ने गणना कार्य का सांकेतिक शुभारंभ किया था.
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