गुरुवार की सुबह जब चंदन यादव किसी कार्यवश बाहर से घर लौटे, तो उन्हें बताया गया कि उनकी जीवन संगिनी रामबतिया देवी का निधन हो गया है. यह खबर सुनते ही जैसे उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई. वे बुरी तरह कांपने लगे और अचानक ज़मीन पर गिर पड़े. परिजन कुछ समझ पाते, उससे पहले ही उन्होंने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया.
साथ जीना और साथ मरने का मिसाल बना यह जोड़ा
एक साथ जीवन की शुरुआत और एक साथ विदाई, चंदन और रामबतिया देवी का रिश्ता आज के समाज में एक प्रेरणास्रोत बन गया है. जब रिश्ते आजकल स्वार्थ, विवाद और टूटने की कगार पर होते हैं, ऐसे में इस जोड़े का साथ जीना और साथ मरना एक मिसाल बन गया है.
उनकी अंतिम यात्रा भी उतनी ही भावुक रही. दोनों की अर्थियां एक साथ उठीं, और पूरा गांव सन्नाटे में डूब गया. लोग यह दृश्य देखकर द्रवित हो उठे और यही कहने लगे कि यह प्रेम कहानियों में पढ़ा जाने वाला प्रेम, असल जिंदगी में पहली बार देखा.
परिवार भी है प्रेरणा का प्रतीक
चंदन यादव के तीन बेटे हैं- अनिल यादव, जो मोतिहारी में सब-इंस्पेक्टर हैं. विकास यादव, जो कृषि कार्य से जुड़े हैं और डब्लू यादव, जो गया में एएसआई पद पर कार्यरत हैं. उनके पोते कोमल यादव पंजाब में एसपी के पद पर तैनात हैं. यह परिवार न सिर्फ सामाजिक रूप से सशक्त है, बल्कि चंदन यादव की दी हुई सीख और मूल्यों का सजीव उदाहरण भी है. यह घटना सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि एक गहरी मानवीय भावना और संबंधों की शक्ति को दर्शाती है कि सच्चा प्यार समय, उम्र और हालात से परे होता है.
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