Bhagalpur News: लाजपत पार्क : अपनी ही बेशकीमती जमीन का किराया नहीं वसूल पा रहा नगर निगम

नगर निगम की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है, जिसका सीधा असर शहर के विकास कार्यों पर पड़ रहा है.

By SANJIV KUMAR | June 10, 2025 1:12 AM
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– लाजपत पार्क का मालिकाना हक रहते किराये पर देने के लिए वन विभाग से लेना होता है परमिशन- खाली जमीन पर मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स बनाकर आय स्रोत में वृद्धि करने की योजना को खुद ही रखा है फंसा कर

ब्रजेश, भागलपुर

नगर निगम की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है, जिसका सीधा असर शहर के विकास कार्यों पर पड़ रहा है. एक ओर जहां शहर को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने की बातें की जाती है, वहीं दूसरी ओर निगम अपने ही संसाधनों से आय का स्रोत करने में विफल साबित हो रहा है. निगम के पास बेशकीमती जमीनें और संपत्तियां मौजूद है और मालिकाना हक भी है लेकिन विभागीय नियमों की पेच और आंतरिक लेटलतीफी ऐसी बाधाएं बन रही है कि इन संपत्तियों से अपेक्षित आय प्राप्त नहीं कर पा रहा है. यह स्थिति न केवल निगम के आय के स्रोत को प्रभावित कर रही है, बल्कि शहरवासियों को मिलने वाली सुविधाओं और परियोजनाओं की प्रगति में भी अवरोध पैदा कर दी है. लाजपत पार्क, इसके सामने की दुकानें, दीपनगर व जवाहर सिनेमा हॉल के नजदीक खाली पड़ी जमीन, जो आय का बड़ा स्रोत बन सकती हैं, वह विभागीय उलझनों और उदासीनता के कारण बेकार पड़ी है.

लाजपत पार्क : इवेंट के लिए वन विभाग से लेना होता परमिशन

लाजपत पार्क का मालिकाना हक नगर निगम के पास है, लेकिन इसके पेड़ों की देखभाल का जिम्मा वन विभाग को दिया गया है. विडंबना यह है कि पार्क में किसी भी बड़े आयोजन के लिए वन विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है, जिससे निगम को सर्कस या डिज्नीलैंड जैसे आयोजनों के लिए इसे किराए पर देने में मुश्किल हो रही है. नतीजतन, लाजपत पार्क से होने वाली संभावित आय पूरी तरह से बंद हो गयी है.

लाजपत पार्क रोड : जमीन निगम की और दुकान का किराया वसूल रहा स्मार्ट सिटी

लाजपत पार्क के ठीक सामने स्थित निगम की जमीन है और इस पर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत छोटी दुकानें बनाकर किराये पर दी गयी है, लेकिन इसका किराया स्मार्ट सिटी द्वारा वसूला जा रहा है. इससे भी निगम को सीधा आर्थिक लाभ नहीं मिल पा रहा है, जो उसकी आय के स्रोत में एक और बड़ी रुकावट है.

निगम की 15 कट्ठा जमीन दीपनगर चौक पर भी खाली पड़ी है, जिस पर मल्टीलेवल मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना है. ऐसी परियोजनाओं से आंतरिक संसाधनों और आय में वृद्धि की उम्मीद है, मगर दुर्भाग्यवश निगम के अधिकारी और कर्मचारी स्वयं ही इन महत्वपूर्ण योजनाओं की फाइलों पर कुंडली मारकर बैठे हैं, जिससे काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है.

नाथनगर : खाली पड़ी जमीन से आय बढ़ाने में विफल

जवाहर सिनेमा हॉल के पास छह कट्ठा खाली जमीन का भी यही हाल है. यहां भी आय बढ़ाने के लिए बड़े-बड़े दावे किये गये लेकिन अब तक कोई मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स नहीं बन पाया है. वर्षों पहले मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स बनाने की योजना कागजों में सिमटी हुई है.

जनरल बोर्ड और स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में उठने वाले मुद्दों पर कोई ठोस निर्णय नहीं

शहर का विकास कार्य सिर्फ टैक्स वसूली पर निर्भर

शहर का विकास कार्य वर्तमान समय में सिर्फ टैक्स वसूली पर निर्भर रह गया है. वहीं, नगर विकास और आवास विभाग अगर फंडिंग करता है, तो कोई आम नागरिक सुविधाओं पर कार्य मुमकिन होता है. ऐसे में कई योजनाएं बन कर भी इंप्लीमेंट नहीं हो पा रही है या फिर लेट-लतीफी का शिकार बन जाती है.

पार्षद जता रहे विरोध, निगम प्रशासन मौन

-कोट-

डॉ बसुंधरा लाल, मेयरB

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