प्रभात खबर लीगल काउंसिल में अधिवक्ता जितेंद्र ने जतायी चिंता, बोले- वैज्ञानिक और जमीनी अनुसंधान जरूरी
प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता सह जिला विधिज्ञ संघ के संयुक्त सचिव जितेंद्र कुमार जीतू ने न्याय व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि अधिकतर आपराधिक मामलों में अनुसंधान कमजोर होता है, जिससे आरोपी को संदेह का लाभ मिल जाता है और पीड़ित को न्याय नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा कि न्याय की गारंटी तभी संभव है जब अनुसंधान वैज्ञानिक, निष्पक्ष और जमीनी स्तर पर हो. लेकिन पुलिस बल पर कार्यभार इतना अधिक है कि वे सटीक और गहराई से जांच नहीं कर पाते, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है. अधिवक्ता जीतू ने कहा कि न्याय की पहली सीढ़ी एफआईआर है और आज भी आम नागरिकों को थाना में आवेदन देने के बाद रिसीविंग नहीं मिलती. इससे पीड़ित की न्याय यात्रा की शुरुआत में ही बाधा आ जाती है. अब अपराध की प्रकृति बदल गई है. पहले अपराध संगठित रूप में दबदबा कायम करने के लिए होते थे, लेकिन अब अधिकतर अपराधों की जड़ में संपत्ति और आर्थिक लाभ होता है. अनुसंधान की दिशा इसी बदलाव के अनुसार तय होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि आवश्यकता है कि थाना स्तर पर लीगल एक्सपर्ट नियुक्त किये जाएं, जो अनुसंधान की गुणवत्ता की निगरानी करे.
इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस 24 कैरेट सोना है
अधिवक्ता ने कहा कि आज के डिजिटल युग में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य 24 कैरेट सोने के समान हैं, जिनकी प्रमाणिकता और निर्णायकता न्यायिक प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है. डिजिटल साक्ष्य जैसे- सीसीटीवी फुटेज, कॉल रिकॉर्ड, लोकेशन डेटा, मोबाइल चैट आदि की विश्वसनीयता और न्यायिक प्रक्रिया में उसकी अहमियत है. इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य अगर सही तरीके से संग्रहित और प्रस्तुत किए जाएं तो वे बहुत मजबूत, निर्णायक और संदेह से परे होते हैं.रील लाइफ और रीयल लाइफ को समझना है जरूरी
अधिवक्ता जितेंद्र कुमार जीतू ने कहा कि रील लाइफ और रियल लाइफ में अंतर नहीं कर पाने की वजह से आज की पीढ़ी में वैवाहिक असंतुलन बढ़ रहा है, जो अंततः घरेलू हिंसा का कारण बनता है. उन्होंने कहा कि फिल्मों और सोशल मीडिया में दिखाए जाने वाले रिश्तों की कल्पनाओं को लोग वास्तविक जीवन में भी ढालना चाहते हैं, जब ऐसा संभव नहीं हो पाता तो टकराव की स्थिति बनती है. यह स्थिति महिलाओं के साथ हिंसा और मानसिक उत्पीड़न में बदल जाती है.पाठकों के सवाल और उसके उत्तर
1.बिना बंटवारा के ही एक हिस्सेदार ने जमीन बेच दी है. अब जिसे जमीन बेची गयी वह दखल करना चाहते हैं क्या करें.2.
उत्तर – ऐसी स्थिति में बहन के पास संपत्ति पर टाइटल सूट फाइल करने का विकल्प है. बचाव के तौर पर कदम उठाना है तो संबंधित अंचलाधिकारी को आवेदन दिया जा सकता है ताकि जमीन दूसरे के नाम पर म्यूटेशन न कराया जाए, संपत्ति से बेदखल न किया जा सके या फिर उस जमीन को न बेचा जा सके. अगर जमीन के बारे में पता न हो तो पिता के नाम से ऑनलाइन चेक किया जा सकता है, या फिर ब्लॉक से पता लगाया जा सकता है.3.वसीयत और दान पत्र में क्या अंतर है ?
4.
उत्तर – रकम प्राप्त करने के लिए आपको सीपीसी के तहत राशि वसूली मुकदमा करें और दूसरी तरफ आपके साथ हुई चिटिंग और मिल रही जान मारने की धमकी की बाबत साक्ष्य के साथ थाने जा कर प्राथमिकी दर्ज करायें.5.रकम गबन के मामले में प्राथमिकी दर्ज करायी, लेकिन आरोपी ने उच्च न्यायालय से जमानत ले ली है, अब क्या करें.
6.
उत्तर – जब पुलिस तत्परता दिखाते हुए कांड का उद्भेदन कर आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है तो उम्मीद की जाती है कि पुलिस अनुसंधान में भी कोताही नहीं करेगी. निश्चित रूप से जो भी दोषी होंगे, उन्हें सजा मिलेगी.7.जमीन का कानूनी रूप से बंटवारा कैसे किया जाता है ?
8.
उत्तर – आप जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को आवेदन दें, निश्चित रूप से मामले में कार्रवाई की जाएगी.
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