लीगल काउंसलिंग. मायके वालों के अनावश्यक हस्तक्षेप से कमजोर होती है सात फेरों की डोर

प्रभात खबर की ओर से लीगल काउंसलिंग का आयोजन.

By KALI KINKER MISHRA | April 7, 2025 12:25 AM
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नवगछिया बार एसोसिएशन के महासचिव सह वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने प्रभात खबर के लीगल काउंसलिंग में पाठकों को दी सलाह

संवाददाता, भागलपुर

नवगछिया बार एसोसिएशन के महासचिव सह वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने रविवार को प्रभात खबर के लीगल काउंसलिंग में कहा कि वर्तमान में घरेलू हिंसा, विवाहों के टूटने की काफी खबर आ रही है. न्यायालय में भी इस तरह के मामले रोज आने लगे हैं. लोगों को समझना होगा कि परिवार भाव, प्रेम से चलता है. परिवार के सदस्यों को एक-दूसरे के प्रति समझ बनानी पड़ती है. अजीत कुमार ने कहा कि वर्तमान में मोबाइल का खूब प्रचलन हो गया है. वैवाहिक संबंधों पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ रहा है. हल्के-फुल्के विवाद में भी देखा गया है कि लड़की के मायके वाले फोन कर के हस्तक्षेप करते हैं. मायके वालों का अनावश्यक हस्तक्षेप सात फेरों की डोर को कमजोर कर देता है. मायके वालों को अपने बेटी की ससुराल के आंतरिक मामलों में तभी हस्तक्षेप करना चाहिए, जब अति आवश्यक हो. नयी पीढ़ी में यह भी देखा जाता है कि वह वर्चुअल रिश्तों पर अधिक ध्यान देते हैं और परिवार में जो हमेशा उनके सामने होते हैं, उन्हें इग्नोर कर देते हैं.

वरिष्ठ अधिवक्ता अजीत कुमार ने नये आपराधिक कानून को लेकर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इसमें कई सकारात्मक बदलाव किए गए हैं, जो न्याय प्रक्रिया को तेज और अधिक प्रभावी बनायेंगे. डिजिटल साक्ष्य की मान्यता और पुलिस की जवाबदेही बढ़ाना स्वागतयोग्य कदम है. आम नागरिकों को नये कानून के बारे में जागरूक करना भी बेहद जरूरी है, ताकि उनके अधिकार सुरक्षित रह सकें.

सुलभ न्याय के लिए की गयी है कई तरह की व्यवस्था

इन दिनों सुलभ न्याय के लिए कई तरह की व्यवस्था की गयी है. उन्होंने लोक अदालतों का जिक्र करते हुए कहा कि इन दिनों लोक अदालतों में बड़ी संख्या में सुलहनीय वादों का निष्पाद किया जाता है, जो स्वागत योग्य कदम है. उन्होंने कहा कि जो लोग आर्थिक रूप से विपन्न हैं, उनके लिए भी डिफेंस काउंसिल की व्यवस्था की गयी है. ऐसे लोगों के लिए मुफ्त न्याय की व्यवस्था की जाती है.

सवाल-जवाब

एक पाठक, भागलपुर.

2.

पिछले दिनों मेरे एक परिजन पर किसी ने झूठा केस कर दिया है. ऐसी स्थिति में क्या किया जाय.

उत्तर – पुलिस के समक्ष वास्तविक घटना साक्ष्य और गवाहों के साथ रखें. अगर स्थानीय स्तर पर पुलिस नहीं सुनती है तो मामले को ले कर वरीय पदाधिकारी के पास जाएं. निश्चित रूप से आपको राहत मिलेगी.

वरुण कुमार, नवगछिया.

4.

मारपीट के एक झूठे मामले में एक बालिग और एक नाबालिग को फंसा दिया गया. मामले में समझौता भी हो गया है. बालिग को जमानत मिल चुकी है. क्या नाबालिग लड़के को भी जमानत लेना आवश्यक है ?

उत्तर – नहीं, अगर मामला झूठा है और समझौता भी हो गया है तो ऐसे मामले में पुलिस उदारतापूर्वक कार्रवाई करती है. मामले को पुलिस पदाधिकारियों के समक्ष रखें, निश्चित रूप से नाबालिग बालक पुलिस राहत देगी.

पंचानंद मंडल, बांका

6.

मैं 12वीं कक्षा का छात्र हूं, मेरी उम्र 17 वर्ष नौ माह है. मैं अपने ही क्लास की एक लड़की से प्यार करता हूं. शादी करना चाहता हूं. क्यों करें ?

उत्तर – मेरी सलाह मानें तो अभी आप दोनों को पढ़ने-लिखने पर ही फुल फोकस करना चाहिए. आपलोग कानूनन शादी के योग्य नहीं है. प्यार करते हैं तो इसमें कोई बुरी बात नहीं है, लेकिन पहले आप दोनों पढ़ लिख कर आर्थिक रूप से सबलता हासिल करें. फिर शादी ब्याह करेंगे तो अच्छा रहेगा.

विकास, गोपालपुर

8.

नकुल कुमार, भागलपुर

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