कहलगांव श्यामपुर स्थित महंत बाबा स्थान में विश्व कल्याणार्थ आयोजित 11 कुंडीय श्रीलक्ष्मी-नारायण महायज्ञ में आठवें दिन मंगलवार को अयोध्या धाम से आयी साध्वी धर्म मूर्ति जी ने कथा वाचन करते हुए कहा कि रामचरितमानस में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण के साथ 14 वर्षों तक वनवास में रहे. इस दौरान वन में विभिन्न स्थानों पर उन्होंने विश्राम किया. उन्होंने कहा कि अयोध्या के राजा दशरथ गुरु वशिष्ठ के परामर्श से प्रभु राम के राज तिलक की तैयारी में जुटे थे. जनता खुशी में पटाखे फोड़ दीया जला रही थी. इधर मंथरा ने सबसे छोटी रानी कैकेयी के मन में विद्वेष की भावना पैदा कर दिया. कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वरदान के बदले राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को अयोध्या का राजा बनाने की मांग रख दी. राजा दशरथ को कैकेयी की इच्छा जानकर काफी दुख हुआ. जब इसका पता प्रभु श्री राम को हुआ, तो वह माता-पिता के आदेश को मानकर वनवास जाने लगे, तो लक्ष्मण जी भी वनवास जाने की जिद करने लगे. अंत में प्रभु श्रीराम मां सुमित्रा के आदेश पर साथ ले जाने के लिए तैयार हुए. साथ में सीता मां भी वनगमन की. भगवान के वन गमन की कथा सुनकर श्रोता भावुक हो गये. कथा सुनने के लिए श्यामपुर सहित आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु की भीड़ लगी रही.
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