मायागंज अस्पताल के इमरजेंसी मेडिसिन वार्ड का संचालन बीते डेढ़ वर्ष से अस्पताल के पिछले हिस्से में स्थित फैब्रिकेटेड वार्ड में हो रहा है. मेडिसिन से जुड़े गंभीर मरीजों का इलाज यहां किया रहा है. यहां इलाज के दौरान मरीजों को अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआइ, एक्सरे समेत अन्य जांच की सुविधा नहीं है. मरीजों को जांच के लिए ट्रॉली पर लिटा कर जांच केंद्र तक भेजा जाता है. फैब्रिकेटेड वार्ड के बाहर सड़क जर्जर व शेड नहीं रहने से मरीजों को काफी समस्या होती है. वहीं मरीजों को ट्रॉली पर ले जाने के दौरान कभी तेज धूप तो कभी बारिश का सामना करना पड़ता है. शेड नहीं रहने के कारण रात में ठंड के दौरान काफी दिक्कत हुई थी. ट्राॅलीमैन ने बताया कि सड़क खराब रहने से कई ट्रॉली के पहिये टूट गये हैं. फैब्रिकेटेड वार्ड से जांच केंद्र तक करीब 200 मीटर तक ट्रॉली चलाना पड़ता है. इसमें करीब 100 मीटर खुला आसमान है. मुर्दाघर व कूड़ा डंपिंग से उठ रही दुर्गंध : जिस जगह फैब्रिकेटेड वार्ड को बनाया गया है, उसके ठीक दक्षिणी छोर पर मुर्दाघर है. वहीं उत्तरी छोर पर अस्पताल से निकले मेडिकल कचरे को डंप किया जाता है. दोनों ओर से उठती दुर्गंध के कारण मरीज, परिजन व इलाज में लगे कर्मचारी परेशान रहते हैं. वार्ड के कर्मियों ने बताया कि कचरे को ढंककर नहीं रखा जाता है. वहीं मुर्दाघर में रखे शव का रखरखाव ठीक तरीके से नहीं हो रहा है. कई बार पटना मुख्यालय को लिखा पत्र : मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉ अविलेश कुमार ने बताया कि फैब्रिकेटेड वार्ड के बाहर शेड निर्माण का प्रस्ताव पटना मुख्यालय भेजा गया है. बीएमएसआइसीएल को फिर से शेड व सड़क निर्माण के लिए आग्रह पत्र भेजा जायेगा.
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