-भागलपुर, बांका, जमुई, मुंगेर, खगड़िया, लखीसराय एवं शेखपुरा जिला की हुई समीक्षा -सैंडिस कंपाउंड मैदान और नवगछिया जीरोमाइल के समीप अलंकारी मछली हैचरी की स्थायी प्रदर्शनी लगाने का सुझाव वरीय संवाददाता, भागलपुर पशु उपचार की उपलब्धि सभी जिलों में लगभग शत प्रतिशत है. एंबुलेट्री वान के संचालन में जमुई जिला की उपलब्ध 99 प्रतिशत और शेखपुर की 45 प्रतिशत रही है. यह बात शनिवार को समीक्षा भवन में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एन विजयलक्ष्मी की ओर की गयी समीक्षा के दौरान बतायी गयी. उन्होंने भागलपुर समेत बांका, जमुई, मुंगेर, खगड़िया, लखीसराय एवं शेखपुरा जिले में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की संचालित योजनाओं की समीक्षा की. अपर मुख्य सचिव ने केसीसी के लिए शिविर का आयोजन करने आ इसका प्रचार प्रसार करवाने का निर्देश दिया गया. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि मैत्री पशु धन सहायक हैं, उनकी मदद एआई के संदर्भ में लिया जाये, जहां भी सबसे ज्यादा दूध देने वाली गाय मिले उसकी पहचान कर उसकी प्रजाति बनायी जाये. इस प्रकार अच्छी प्रजाति वाली गाय का एक मदर फॉर्म भी बनाया जा सकता है. मत्स्य एवं पशुपालन विभाग ने क्षेत्रीय स्तर पर कर्मी नहीं रहने के फीडबैक पर जिलाधिकारी ने कहा कि किसान सलाहकार का उपयोग पशु पालन एवं मत्स्य संधान के कार्य के लिए भी किया जा सकता है. क्योंकि, उन्हें जमीनी स्तर की काफी जानकारी रहती है. जमुई जिले के समीक्षा के दौरान बताया गया कि जमुई आकांक्षी जिला में शामिल है. इसलिए वहां सभी योजनाओं का प्रतिशत बढ़ाना होगा. बैठक में समेकित बकरी एवं भेड़ विकास योजना, समेकित मुर्गी विकास योजना, मोबाइल वेटरनरी यूनिट की समीक्षा की गयी. पशु गणना के संबंध में बताया गया कि भैंस की संख्या लगातार घट रही है. बकरी की संख्या बढ़ी है. पशु चिकित्सालय निर्माण के संबंध में बताया गया कि ग्रामीण आंतरिक संसाधन विकास निधि से 100 नये पशु चिकित्सालय बिहार में बनाया जा चुका है. 100 चिकित्सालय और बनवाया जायेगा. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कॉम्फेड के तहत ही प्राइमरी गोट को-आपरेटिव समिति बनाया जाना है. इसके लिए प्रखंड वार बकरी की संख्या प्राप्त कर लिया जाये. इसका पंजीकरण तीन स्तर पर राज्य, प्रमंडल और क्लस्टर पर किया जायेगा. मत्स्य संसाधन विभाग की समीक्षा में निदेशक मत्स्य संसाधन अभिषेक रंजन ने बताया कि बांका, भागलपुर, जमुई एवं मुंगेर में जलाशय की संख्या अधिक है. सात निश्चय पार्ट दो के तहत निजी तालाबों का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है. जलाशय में कैग और पेन का अधिष्ठापन कराया जा रहा है. अलंकारी मत्स्य इकाई की स्थापना की जा रही है. अलंकारी मत्स्य पालन के संबंध में बताया गया कि भागलपुर में दो हैचरी बनाया गया है, जिसमें रंगीन मछली के बीज तैयार किया जा रहा है. अपर मुख्य सचिव ने इस योजना को महिलाओं से जोड़ने एवं उन्हें प्रशिक्षण दिलाने को कहा. कहा भागलपुर में अलंकारी मछली की अपार संभावना है. इससे एक्वेरियम बनाने का कुटीर उद्योग संस्थापित किया जा सकेगा. जिलाधिकारी ने सुझाव दिए कि विभाग द्वारा एक एसओपी बनाया जाना चाहिए, ताकि एक्वेरियम रखने वाले को पता चल सके कि कौन-कौन सी मछली को एक साथ रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि सैंडिस कंपाउंड मैदान और नवगछिया जीरोमाइल के समीप इसकी स्थायी प्रदर्शनी लगायी जा सकती है. जिलाधिकारी ने बताया कि भागलपुर का भैरवा तलाब 21 एकड़ का है, जिसका उपयोग रिक्रिएशनल फिशरीज के लिए किया जा सकता है. मुख्यमंत्री चौर विकास योजना के तहत 30 हेक्टेयर के तालाब का निर्माण मत्स्य पालन के लिए किया गया है. जिला मत्स्य पदाधिकारी, भागलपुर ने बताया कि नवगछिया में एक किसान ने 5 एकड़ में चौर का विकास किया है. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सीड एवं फीड दोनों पर ध्यान देना होगा. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि मछली उत्पादन की यहां अपार संभावनाएं हैं. भागलपुर एवं मुंगेर क्षेत्र में बड़ी संख्या में जलाशय हैं. यहां से मछली पूर्वोत्तर राज्यों में भेजा जा सकता है. पूर्वोत्तर राज्यों में मछली एवं मांस का अधिक प्रयोग किया जाता है. इसलिए सुअर पालन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हर जिले के स्थिति के हिसाब से योजना बनानी पड़ेगी. कहा कि बांका जिला में सर्वाधिक तालाब है. बांका को मछली पालन में मॉडल जिला बनाया जाये. बैठक में उप विकास आयुक्त प्रदीप कुमार सिंह, संयुक्त निदेशक पशु एवं मत्स्य संसाधन सुनील ठाकुर, क्षेत्रीय निदेशक एवं संबंधित जिले के जिला पशुपालन पदाधिकारी जिला गव्य विकास पदाधिकारी एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी उपस्थित थे.
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