ये हैं बिहार के शारीरिक शिक्षक, सुबह स्कूल में करते हैं ड्यूटी और रात में डिलीवरी बॉय की नौकरी

भागलपुर के एक सरकारी शारीरिक शिक्षक को 8200 रुपये वेतन में अपने परिवार का भरण-पोषण करने की मजबूरी के कारण होटल में काम करने को मजबूर होना पड़ा. वह दिन में स्कूल में ड्यूटी करते हैं और रात में घर-घर खाना पहुंचाते हैं.

By Anand Shekhar | November 26, 2024 7:18 AM
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आरफीन जुबैर, भागलपुर. इसमें संदेह नहीं कि सरकारी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों की संख्या, उनकी सैलरी, सेवा का स्तर और अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी हुई है लेकिन इन्हीं शिक्षकों के बीच एक ऐसा वर्ग भी है, जो आज भी आर्थिक रूप से परेशान हैं. इसी दायरे में शारीरिक शिक्षक एवं स्वास्थ्य अनुदेशक के पद पर काम करने वाले शिक्षक हैं, जिन्हें बोलचाल की भाषा में लोग फिजिकल टीचर कहते हैं. इन्हीं में एक फिजिकल टीचर ऐसे हैं, जो दिनभर अपनी सेवा स्कूल में देते हैं और शाम से होटलों में काम करते हैं. सरकारी वेतन से घर चलाने में परेशानी होने लगी, तो डिलीवरी बॉय के रूप में भी काम शुरू कर लिया. होटलों को मिले ऑनलाइन ऑर्डर के तहत भोजन के पैकेट लेकर घर-घर पहुंचाते हैं. शिक्षक अमित सिन्हा ने बताया कि उन लोगों को स्कूलों में ‘आठ हजारी शिक्षक’ के नाम से बुलाया जाता है. यह सुनकर काफी खराब लगता है. शारीरिक शिक्षकों का इसमें क्या कसूर है.

काम कोई छोटा नहीं, पर अखर रही दोनों ड्यूटी करना : शिक्षक

शारीरिक शिक्षक अमित सिन्हा भागलपुर जिला के सबौर प्रखंड के मध्य विद्यालय रजंदीपुर में नियुक्त हैं. उन्होंने बताया कि काम कोई छोटा नहीं होता है, लेकिन स्कूल और होटल की कुल 16 घंटे की ड्यूटी अखर जाती है. मन में यह सवाल रहता है कि आखिर दोनों ड्यूटी कितने दिन तक कर पायेंगे. स्कूल में काम करने वाले दूसरे शिक्षकों के मुकाबले वे 25 फीसदी भी वेतन नहीं पाते हैं. सिर्फ 8,200 रुपये मासिक मिलता है. वो भी रेगुलर नहीं मिलता है. ऐसे में परिवार चलाना मुश्किल होता है. सबसे ज्यादा चार माह तक परिवार चलाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ा. फरवरी 2024 तक के वेतन का भुगतान किया गया लेकिन मार्च से लेकर जून तक का वेतन नहीं मिला. ऐसे में परिवार चलाने के लिए मजबूरी में डिलीवरी बॉय का काम शुरू करना पड़ा.

होटल के पैसे से परिवार का हो रहा पालन

शारीरिक शिक्षक ने बताया कि जब से डिलीवरी बॉय का काम शुरू किया है, परिवार का पालन पहले की तुलना में थोड़ा ठीक हुआ है. इस काम से करीब 10 हजार रुपये तक बच जाता है. ऐसे में किसी से अब मांगने की जरूरत नहीं होती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार शारीरिक शिक्षकों और स्वास्थ्य प्रशिक्षकों के वेतन में भी वृद्धि करेगी.

कम वेतन मिलने से 15 शिक्षकों ने छोड़ दी नौकरी

जिले में 108 शारीरिक शिक्षक एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों ने योगदान दिया था. लेकिन कम वेतन मिलने से 15 शिक्षकों ने नौकरी छोड़ दी. वर्तमान में 93 शिक्षक ही जिले में कार्यरत है. सरकार ने उनलोगों को भी नियमानुसार परीक्षा लेकर पास किया है. इसके बाद ही शारीरिक शिक्षक एवं स्वास्थ्य अनुदेशक पद पर बहाल किया गया है.

निर्धारित समय तक ड्यूटी के बाद कुछ भी कर सकते हैं: प्रधानाध्यापक

मध्य विद्यालय रजंदीपुर के प्रधानाध्यापक विनोद कुमार ने कहा कि सरकार ने स्कूल का निर्धारित समय तय किया है. उतने घंटे तक ड्यूटी के बाद कोई कुछ भी कर सकता है. शारीरिक शिक्षक निर्धारित समय तक अपनी ड्यूटी करते हैं. इसके बाद कोई भी कुछ कर सकता है.

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