Shravani Mela 2025: श्रावणी मेले में भक्ति और सांस्कृतिक रंगों का संगम, शिवरूप कांवरिये और महाकाल की झांकियों ने मोहा मन

Shravani Mela 2025: श्रावणी मेला इस बार भक्ति, संस्कृति और भावनाओं का अद्भुत संगम बन गया है. पारंपरिक कांवर यात्रा जहां नये-नये रूपों में सजी-धजी दिखाई दी, वहीं भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं की अनूठी पेशकशों ने लोगों का दिल जीत लिया. कहीं शिव रूप में तांडव करते कांवरिये तो कहीं आदियोगी और महाकाल की झांकी ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.

By Abhinandan Pandey | July 24, 2025 8:16 PM
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Shravani Mela 2025: श्रावणी मेला में विविध रंगों और रूपों का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है. कांवर यात्रा के दौरान कांवरिये अब पारंपरिक स्वरूप के साथ नये-नये रचनात्मक रूपों में भी श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं. कहीं कोई शिव रूप धारण कर भक्तों का मनोरंजन कर रहा है, तो कहीं कोई आदियोगी और महाकाल की प्रतिमाएं कांवर पर लेकर बाबाधाम की ओर बढ़ रहा है.गुरुवार को गोरखपुर निवासी पप्पू गोस्वामी शिव रूप धारण कर अपने 150 सदस्यीय जत्थे के साथ अजगैवीनाथ धाम से बाबाधाम के लिए प्रस्थान किया. वे 28 वर्षों से कांवर यात्रा कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह यात्रा किसी मन्नत के लिए नहीं, बल्कि स्वेच्छा से और भक्ति भाव से की जाती है. पप्पू गोस्वामी यात्रा के दौरान जहां भी मंच (स्टेज) मिलता है, वहां शिव तांडव और डांस कर श्रद्धालुओं का मनोरंजन करते हैं. शिव रूप में उन्हें देखने के लिए स्थानीय लोगों और कांवरियों की भीड़ उमड़ती रही. रास्ते में लोग उन्हें श्रद्धा भाव से प्रणाम करते हुए आगे बढ़ते नजर आये.

इधर कोलकाता से आये आठ कांवरियों के जत्थे ने अपने कांवर पर आदियोगी की प्रतिमा स्थापित कर यात्रा शुरू की. जत्थे में शामिल सुरज शर्मा, बटुल दास और मंटु रजक ने बताया कि आदियोगी को वे गुरु रूप में मानते हैं, इसलिए उन्हें कांवर पर साथ लेकर चल रहे हैं. यह इनकी दूसरी कांवर यात्रा है. वहीं आसनसोल से आए 14 सदस्यीय जत्थे ने अपने कांवर में पालकी के रूप में महाकाल की मूर्ति को सजाया है. इस भव्य कांवर को तैयार करने में लगभग 35,000 खर्च आया है, और इसका वजन करीब 60 किलोग्राम बताया गया है. जत्थे में शामिल राहुल, हेमंत और सिट्टू ने बताया कि कांवर को चार लोग मिलकर बारी-बारी से उठाते हैं. श्रद्धा और समर्पण से भरी इस विशेष कांवर ने श्रद्धालुओं का खूब ध्यान खींचा. मेले में इस प्रकार के नवाचार कांवर यात्रा को न सिर्फ आस्था का प्रतीक बना रहे हैं, बल्कि यह सांस्कृतिक उत्सव का रूप भी धारण करता जा रहा है. विभिन्न रूपों में सजे कांवरिए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हैं.

छत्रपति शिवाजी महाराज की झांकी ने बिखेरा भक्ति और वीरता का रंग

श्रावणी मेले में पश्चिम बंगाल कोलकाता के कांवरिया छत्रपति शिवाजी महाराज की जय, गणपति बप्पा मोरया और जय हनुमान के जयघोष के साथ विजय क्लब कांवरिया संघ के 100 शिवभक्तों के विशेष जत्थे ने पूरे मार्ग का वातावरण भक्ति और राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग दिया.इस जत्थे की खास बात यह रही कि शिवभक्त छत्रपति शिवाजी महाराज, वीर हनुमान और गणेश जी की भव्य मूर्तियों को पालकी पर सजा कर कंधों पर उठाए आगे बढ़ रहे थे.कांवर में गंगा जल व पालकी में शिवाजी महाराज तलवार के साथ महाकाल की पूजा अर्चना करते हुए दर्शाए गए थे. जबकि गणेश जी और हनुमान जी बाबा भोलेनाथ की आराधना में लीन दिखे.शिवभक्तों का स्वरूप भी ऐतिहासिक और प्रेरणादायी रहा. सभी कांवरिया शिवाजी की तर्ज पर पगड़ी पहनकर, पारंपरिक परिधान में पूरे अनुशासन के साथ बोलबम का उद्घोष करते चल रहे थे.विजय क्लब समिति के प्रमुख सदस्य अमित, प्रदीप और राजेश साह ने बताया कि छत्रपति शिवाजी महाराज जीवन भर हिंदुत्व और राष्ट्र की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे. उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को शिवाजी महाराज के आदर्शों से प्रेरणा लेकर देश, धर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु जागरूक होना चाहिए.श्रद्धालुओं की यह अनोखी पेशकश न सिर्फ भक्ति का प्रतीक बनी, बल्कि सांस्कृतिक चेतना और वीरता का संदेश कांवरिया पथ पर दे रहा था.

बाबा बैद्यनाथ का आया बुलावा, पुत्रवधू बनी सारथी

श्रावणी मेला में आस्था और भावनाओं का अनूठा संगम देखने को मिला रहा है. जब बनारस से आईं दृष्टि दिव्यांग अनीता देवी पहली बार कांवर लेकर बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए रवाना हुईं. उनके इस आध्यात्मिक यात्रा में मार्गदर्शक और सारथी बनीं उनकी पुत्रवधू ज्योति देवी. जिन्होंने न सिर्फ उनका हाथ थामा बल्कि पूरे श्रद्धा भाव से इस कठिन यात्रा को सहज बना रही हैं. अनीता देवी ने बताया कि वह पिछले सात वर्षों से काशी विश्वनाथ में जल अर्पण करती आ रही हैं, परंतु इस बार उनकी इच्छा थी कि वह पैदल कांवर लेकर देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम जाएं. उन्होंने कहा, बाबा बैद्यनाथ का बुलावा आया है, अब कोई नहीं रोक सकता. मेरी बहू ने मेरी मनोकामना पूरी कर दी, मैं बहुत खुश हूं. ज्योति देवी ने भावुक होते हुए कहा, मैं पिछले दो वर्षों से कांवर यात्रा कर रही हूं. जब सासू मां ने इच्छा जताई तो उन्हें भी इस बार चल पड़ी.

श्रद्धा, समर्पण और परिवार की एकता बनी मिसाल

अनीता देवी, जो देख नहीं सकतीं, अपनी आस्था की आंखों से देख रही हैं. उन्होंने कहा, मेरी बहू मेरे लिए रथ बन गयी है. ऐसी बहू हर घर में हों. बाबा का बुलावा जब आता है, तो रास्ता खुद-ब-खुद बनता चला जाता है. बोल बम कहते हुए हम निकल पड़ी हैं अपने बाबा की नगरी की ओर. भावनात्मक यात्रा में दृष्टि दिव्यांग सास और सेवा भाव से ओतप्रोत बहू की जोड़ी हर श्रद्धालु के लिए प्रेरणा बन गयी है.

श्रावणी अमावस्या पर उमड़ा भक्तों का सैलाब

श्रावणी अमावस्या पर गुरुवार को सुलतानगंज, अजगैवीनाथधाम में शिव भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. उत्तरवाहिनी गंगा के पवित्र जल से कांवर भरकर करीब 1.5 लाख से अधिक कांवरियों ने बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर के लिए प्रस्थान किया. बोल बम के जयघोष से पूरा वातावरण शिवमय हो उठा. उमस व भीषण गर्मी से आमलोगों के साथ कांवरिया भी परेशान रहे. बावजूद बाबा के भक्ति में कांवरिया का उत्साह गजब का देखा गया. कांवरियाें की भीड़ दिनभर बाबाधाम रवाना होते रहे. नेपाल, बिहार, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उड़ीसा सहित कई राज्यों से आये श्रद्धालु गंगा तट पर से पवित्र स्नान के बाद कांवर में जल भरकर भोलेनाथ के दरबार की ओर रवाना हुए. महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी के स्वर बोल बम की गूंज से पूरा वातावरण भक्तिमय होता रहा. श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है.

कंट्रोल रूम से लगातार की जा रही निगरानी

डाकबम प्रमाणपत्र काउंटर पर भी भीड़ देखी जुट रही है. हर मार्ग पर कांवरियों का तांता लगा है. श्रावणी अमावस्या के कारण विशेष भीड़ रही. इस दौरान आस्था की चरम झलक देखने को मिली. कंट्रोल रूम से लगातार निगरानी की जा रही है. अजगैवीनाथ मंदिर पर भी श्रावणी अमावस्या पर भक्तों की भीड़ उमड़ी. अमावस्या के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना की गयी. स्थानापति महंत प्रेमानंद गिरि ने बताया कि मंदिर प्रशासन व जिला प्रशासन की ओर से भक्तों के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है. महंत ने बताया कि श्रद्धालुओं से अपील की कि वे अजगैवीनाथ में जलार्पण करने के बाद ही बाबा बैद्यनाथ की नगरी जाएं, ताकि उन्हें पूर्ण फल की प्राप्ति हो.

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