bhagalpur news. सुलतानगंज टू दर्दमारा: कांवरिया पथ पर अबतक शुरू नहीं हुआ सुरक्षा कार्य, टेंडर फिर टला

विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हुए एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन कांवरियों की सड़क सुरक्षा के लिए सुलतानगंज से झारखंड बॉर्डर तक बनाये जाने वाले कांवरिया पथ पर अबतक बुनियादी कार्य शुरू नहीं हो सका है.

By ATUL KUMAR | July 19, 2025 1:48 AM
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विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला शुरू हुए एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन कांवरियों की सड़क सुरक्षा के लिए सुलतानगंज से झारखंड बॉर्डर तक बनाये जाने वाले कांवरिया पथ पर अबतक बुनियादी कार्य शुरू नहीं हो सका है. सड़क पर साइनेज, चेतावनी बोर्ड, बैरियर, रोड फर्नीचर जैसे जरूरी सुरक्षा उपकरण और दिशा-निर्देश अबतक धरातल पर नहीं उतर सके हैं.

दरअसल, पथ निर्माण विभाग, कार्य प्रमंडल बांका ने श्रावणी मेला शुरू होने के कुछ ही दिन पहले संबंधित कार्य के लिए एजेंसी की तलाश शुरू की थी. बेहद कम समय मिलने के कारण कोई भी एजेंसी इस प्रक्रिया में रुचि नहीं दिखा सकी, परिणामस्वरूप विभाग को निविदा रद्द करनी पड़ी.

अब विभाग ने दोबारा टेंडर जारी किया है, जिसकी निविदा 26 जुलाई को खोली जायेगी. ऐसे में यह स्पष्ट है कि एजेंसी के चयन और कार्य प्रारंभ होने तक श्रावणी मेला का आधा समय बीत चुका होगा. वहीं, इस पूरी प्रक्रिया पर संशय की स्थिति बनी हुई है. पहले भी देखने में आया है कि पथ निर्माण और एनएच विभागों की निविदाएं समय पर फाइनल नहीं हो पाती है. ऐसे में इस बार भी यह आशंका बनी हुई है कि कहीं निविदा फिर से अटक न जाये और सड़क सुरक्षा की तैयारी महज कागजों तक ही सीमित रह जाये.

68.44 लाख की योजना, 26 जुलाई है निविदा भरने की अंतिम तिथि

सुलतानगंज से दर्दमारा रोड (स्टेट हाइवे-22) के किमी 40 से किमी 98.865 तक यानी लगभग 59 किलोमीटर लंबे कांवरिया पथ पर रोड फर्नीचर, साइनेज और अन्य मिसलेनियस कार्य कराने के लिए पथ निर्माण विभाग ने 68.44 लाख रुपये की योजना तैयार की है. इसके लिए विभाग द्वारा दोबारा निविदा जारी कर दी गयी है, जिसकी अंतिम तिथि 26 जुलाई निर्धारित की गयी है. चयनित एजेंसी को कार्यादेश मिलने के बाद 60 दिनों के अंदर काम पूरा करना अनिवार्य होगा. यानी वर्क पीरियड लंबा रहने के कारण इस बार श्रावणी मेले के अधिकांश कांवरियों को इस योजना से कोई खास लाभ नहीं मिल सकेगा. कुछ कांवरियां लाभान्वित हो पायेंगे, जब तक कार्य शुरू होकर आंशिक रूप से पूरा हो पाये. इस योजना की देरी एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि प्रशासन ने वास्तव में श्रद्धालुओं की सुविधा को प्राथमिकता दी है या तैयारी सिर्फ औपचारिकताओं तक सीमित रही है.

साइन बोर्ड्स – स्पीड लिमिट, दिशा संकेत, मोड़ चेतावनी व अन्य

रेलिंग और बैरियर – सड़कों के किनारे बैरियर, जिससे वाहन सड़क से बाहर न जा सके

रेफ्लेक्टर, कैट्स आई, रोड मार्किंग्स : रात में विजिबिलिटी और लेन गाइडेंस के लिए

उद्देश्य:

– सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना

– यात्रियों और चालकों को दिशा और चेतावनी देना

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