श्रावणी मेला के उद्घाटन के बाद दूसरे दिन शनिवार को सुलतानगंज में दो डूबने की घटनाएं सामने आयी, जिससे श्रद्धालुओं में चिंता का माहौल है. इन घटनाओं के बाद प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो गंगा घाटों को छोड़ कर अन्य सभी स्थानों पर सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिये हैं. हालांकि, स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह तैयारी पहले ही की जानी चाहिए थी. प्रभात खबर की पड़ताल में यह बात सामने आयी कि मुंगेर की ओर से आने वाले कांवरियों के लिए गनगनिया और कमरगंज के पास पड़ाव के बाद गंगा घाटों पर कोई सुरक्षा उपाय नहीं थे. यही कारण है कि हादसों की आशंका बनी रहती है. भागलपुर की ओर से आने वाले कांवरियों के लिए भी घाटों पर स्नान न करने के प्रति पर्याप्त जागरूकता नहीं है. स्थानीय सुधीर कुमार प्रोग्रामर ने मांग की है कि खतरनाक और असुरक्षित घाटों पर पूरी तरह रोक लगायी जाए और गंगा में प्रवेश पर प्रतिबंध हो. कांग्रेस नेता विनय शर्मा ने कहा कि कमरगंज घाट को पहले से ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए था. उन्होंने एनएच से सटे घाटों पर त्वरित सुरक्षा उपायों की मांग की. भाजपा नगर अध्यक्ष डॉ कुमारी अलका चौधरी ने नमामि गंगे घाट और कमरगंज घाट पर हुई घटनाओं को दुखद बताया. उन्होंने कहा कि मेला से पूर्व ही प्रशासन को रणनीति बना कर इस पर कार्य करना चाहिए था. स्थानीय लोगों से फीडबैक लेकर ही योजना बनानी चाहिए. कांवरियों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए और प्रशासन को हर स्तर पर सजग रहना चाहिए. भाजपा नगर उपाध्यक्ष चंदन कुमार ने डूबने की घटनाओं पर स्थायी रोक लगाने की मांग की. उन्होंने कहा कि प्रत्येक घाट पर स्थायी गोताखोर तैनात हो, नमामि गंगे घाट पर किनारे में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और कमरगंज घाट पर सुरक्षा चेतावनी बोर्ड लगाएं.कांवरियों से सुरक्षित घाटों पर ही स्नान करने की अपील की जाएं.
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