एक ओर जहां बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर जाने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बाबा बासुकीनाथ धाम जाने के लिए सरकारी सुविधाएं केवल शहर के अंदर दिखती है. शहर से बाहर निकलते ही उन्हें सामाजिक संगठनों के भरोसे रहना पड़ता है. जबकि बासुकीनाथ धाम जाने के लिए शहर से हजारों की तादाद में हरेक वर्ष कांवरियों का रैला निकलता है. बासुकीनाथ धाम जाने के लिए शहर के गंगा तट से ही जल भरने में सुविधा होती है. साथ ही वहां जाने के लिए भागलपुर से जगदीशपुर और शाहकुंड के दो रास्तों से कांवरियों का जत्था निकलता है. शहर व शहर के बाहर कांवरिया मार्ग में कोई व्यवस्था नहीं दिख रही है. सबसे मुख्य मार्ग तिलकामांझी चौक, कचहरी चौक व आसपास क्षेत्र में कुछ व्यवस्था है, लेकिन इसके बाद त्रिमूर्ति चौक, भोलानाथ पुल, मिरजानहाट, मोहद्दीनगर, बबरगंज थाना समीप, अलीगंज स्पिनिंग मिल तक समस्या ही समस्या है. इसमें सबसे बड़ी समस्या इशाकचक क्षेत्र के मिरजानहाट रोड पर गंदगी व कीचड़ की है. ऐसे में कांवरियों को इसी नाला पर चलना पड़ रहा है. मार्गों पर अलग-अलग समस्याएं बासुकीनाथ कांवरिया मार्ग पर जगह-जगह पर अलग-अलग समस्या है. त्रिमूर्ति से भीखनपुर नेत्रहीन विद्यालय से लेकर भोलानाथ पुल तक जगह-जगह पुल निर्माण के कारण जर्जर है. चार माह पहले ही इस सड़क को चलने लायक बनाने का निर्देश मिला था. इशाकचक से मिरजानहाट शीतला स्थान चौक के बीच कुछ हद तक सड़क बनायी गयी, लेकिन अब बारिश शुरू होने पर पूरी सड़क नहीं बनायी गयी है. कई जगह पर अब भी नाला जाम होने के कारण सड़क पर नाला बह रहा है. अधिक बारिश होने पर भोलानाथ पुल के नीचे तालाब सी स्थिति बनना तय है. बौंसी रेल पुल के नीचे सड़क पर नाले के पानी से छोटे तालाब सी स्थिति अभी से बनी हुई है. इशाकचक क्षेत्र की सड़क के दोनों ओर कच्चा नाला जाम है. इतना ही नहीं मैला व गंदगी भी सड़क पर बह रहा है. मिरजानहाट से मोहद्दीनगर मार्ग में फुटपाथ व मार्ग को खोदकर पहले की तरह नहीं किया गया. इससे कांवरियों को चलने में दिक्कत हो रही है. लोगों कर रहे सवाल, कांवरियों के साथ उपेक्षा क्यों सुलतानगंज के रास्ते से देवघर को जाने वाले कांवरियों के लिए हरेक वर्ष विशेष तैयारी रहती है, जबकि बासुकीनाथ जाने वाले कांवरियों के लिए ऐसा कुछ भी नहीं. आदमपुर कचहरी परिसर के राकेश कुमार का कहना है कि बासुकीनाथ धाम जाने वाले डाक बम रात्रि में भी भारी संख्या में निकलते हैं. यदि जगह-जगह स्वयंसेवी संस्था की ओर से रोशनी, प्राथमिक चिकित्सा समेत अन्य सुविधा के लिए शिविर लगाया गया है तो ठीक, नहीं तो भगवान भरोसे ही चलने को विवश होते हैं. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप कुमार का कहना है कि बरारी रोड हो या एसएम कॉलेज रोड से होकर भीखनपुर होते हुए इशाकचक, मिरजानहाट, बबरगंज, बागबाड़ी, अलीगंज में अव्यवस्था ही अव्यवस्था है. रास्ते में दूर-दूर तक अंधेरा रहता है. कांवरिया अपना टॉर्च रख कर ही चलते हैं, ताकि अंधेरे में कोई परेशानी न हो जाये. इतना ही नहीं यदि सेवा करने वालों की टोली नहीं रहे तो डाक बम पानी के लिए तरस जायेंगे.
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