विलुप्तप्राय कलारूपों को संरक्षित करने के लिए भागलपुर में भी शुरू होगी गुरु-शिष्य परंपरा योजनाननदी झगरवा कइली, पिया परदेश गइले…, किया हो रामा, भउजी रोवेली छतिया फाटे हो राम… ऐसी गीत कभी धानरोपनी के समय खेतों में हंसी-ठिठोली करते हुए महिला मजदूर झूम-झूम कर गाया करती थीं. कोई गायकी में प्रशिक्षित नहीं होती थी. लेकिन कतारों में धान रोपती रोपनहार जब गायन शुरू करती थीं, तो माहौल में ताजगी घुल जाती थी. अब न वो गानेवाली रही और न नयी पीढ़ी को सिखानेवाली. विलुप्त होती जा रही ऐसी कला को बचाने का काम बिहार सरकार की गुरु-शिष्य परंपरा योजना से करने जा रही है. इसके तहत गुरु के सामने बैठे शिष्य उन कलाओं की बारीकी सीखेंगे. गायन, नृत्य, वादन, गाथा सीखने का अवसर शिष्यों को मिलेगा, ताकि कला बचायी जा सके. इस योजना को बिहार के सभी जिलों में शुरू करने के लिए एक करोड़ 11 लाख 60 हजार रुपये इस वर्ष खर्च करने की प्रशासनिक स्वीकृति कला संस्कृति व युवा विभाग ने दी है. वहीं विभाग के सचिव प्रणव कुमार ने इस संबंध में भागलपुर के आयुक्त व डीएम को भी पत्र भेजा है.
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