पिछले पांच साल से भागलपुर का जीआइ टैग प्राप्त जर्दालू आम व खास स्वाद वाला दूधिया मालदह के उत्पादन पर प्रदेश सरकार की ओर से बढ़ावा मिल रहा था. विदेशों में भी आम का निर्यात किया जा रहा था. इंग्लैँड, अमेरिका, गल्फ कंट्री आदि में आम भेजा जाने लगा. लेकिन अमेरिकी शासन की ओर से भारतीय आमों पर लगी रोक के बाद भागलपुर के आम उत्पादक व उद्यमियों की उम्मीद धरी की धरी रह गयी. कहलगांव के आम उत्पादक किसान कृष्णानंद सिंह ने बताया कि पहली बार उन्होंने जर्दालू इंग्लैंड भेजा था. जर्दालू को खूब पसंद किया गया. इसका यहां के किसानों को मुनाफा भी मिला. कुछ किसानों व उद्यमियों के चक्कर में केमिकल युक्त आम को अमेरिका सरकार ने लौटा दिया. इसका असर भागलपुर में भी पड़ा. किसान निराश हो गये हैं कि उनका तैयार आम विदेशों से डॉलर नहीं कमा पायेगा. वहीं पीरपैंती के एफपीओ राकेश सिंह ने बताया कि यहां लगभग कई टन अमेरिका भेजने की तैयारी थी. लेकिन अब दूसरे देश भेज कर कुछ भरपाई की जायेगी. उनके आम की डिमांड इंग्लैंड से हुई है, पहली खेप एक टन है. फिर भी अमेरिका जैसी कमाई नहीं हो पायेगी. विशेषज्ञ रमण कुमार दुबे ने बताया कि भारत से सही तरीके से आम नहीं भेजा जा रहा है. केमिकल पर प्रतिबंध है, तो क्यों भेजा जा रहा है. यहां का जर्दालू आम के लिए भागलपुर में पैक हाउस की जरूरत है. ऐसे आम भेजे जाने से रास्ते में खराब हो जाता है. ट्रेडर तो अपना पैसा निकाल लेता है, लेकिन अंततोगत्वा किसान को भुगतना पड़ता है. किसानों को सही मार्गदर्शन जरूरी है. फिलहाल तो भागलपुर के आम किसानों की डाॅलर कमाने की चाह धरी की धरी रह गयी.
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