-आज कला प्रदर्शनी, कवि गोष्ठी समेत होगा पुरस्कार वितरण
नाटक रामलीला में मुक्ति निकेतन, घोघा के कलाकारों ने यह दिखाने की कोशिश की कि रामलीला हमेशा से आपसी सौहार्द वातावरण में मिलकर खेलते रहे हैं. राजनीतिक कारणों से सांप्रदायिक तत्वों ने इस गंगा जमुनी तहजीब को दूषित करने का षड़यंत्र किया. नाटक समाज में सद्भाव की अपील करता है. किलकारी, भागलपुर के नाट्य दल ने निर्देशकीय कुशलता और रंग तकनीकों का अद्भुत सामंजस्य के बीच कलाकारों का निर्वाह संतुलित दिखा. संगीत युक्तियों का भी बहुत बढ़िया इस्तेमाल रहा. ”””” राजा के कान”””” प्रसिद्ध लोकगाथा पर आधारित प्रभुदयाल श्रीवास्तव लिखित सुमित कुमार मिश्रा निर्देशित यह नाट्य प्रस्तुति दर्शकों की भूरी भूरि प्रशंसा का हकदार रही.समूह नृत्य की अबाध प्रस्तुतियों ने मेले के वातावरण को झूमा दिया. रंग बिरंगे परिधानों में सुसज्जित नृत्यांगनाएं परियों के मानिंद पूरे परिसर में विचरण कर रही थीं. वे जब मंच पर आ गयी तो दर्शक उनकी थिरकन के साथ कला की ऊंचाई में खो से गये.
पूर्व आइपीएस आरके मिश्रा भी पहुंचे
आज कला प्रदर्शनी, कवि गोष्ठी व पुरस्कार वितरण
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