Bhagalpur News: स्मार्ट सिटी का ट्रैफिक तमाशा : सिग्नल फेल, सिस्टम बेहाल

भागलपुर शहर में अगर सरकारी राशि की बर्बादी देखनी हो, तो बस चौराहे पर घूम लीजिए और ट्रैफिक सिग्नलों का हाल देख लीजिए

By SANJIV KUMAR | June 21, 2025 11:51 PM
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– 16 सिग्नल लगाने पर 6.42 करोड़ रुपये किया खर्च

ब्रजेश, भागलपुर

भागलपुर शहर में अगर सरकारी राशि की बर्बादी देखनी हो, तो बस चौराहे पर घूम लीजिए और ट्रैफिक सिग्नलों का हाल देख लीजिए. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शहर के 16 प्रमुख चौराहों पर सिग्नल लगाये गये हैं लेकिन इनमें से सिर्फ सात ही चालू है. बाकी के 09 सिग्नल या तो कभी उपयोग में लाये ही नहीं गये या फिर लगने के कुछ दिन बाद से ही बंद पड़े हैं. सबसे चौंकाने वाली स्थिति कचहरी चौक और डिक्सन मोड़ (लोहिया पुल के नीचे) की है, जहां पर नये सिग्नल लगाये तो गये लेकिन कभी चालू ही नहीं हुआ. नया का नया ही धरा रह गया. वहीं, घंटा घर चौक पर लगा सिग्नल कुछ समय तक चला और फिर बंद हो गया. अब यह बेकार पड़ा है. स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने इन 16 सिग्नलों के लिए कुल 6.42 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. यानी प्रति सिग्नल 40 लाख, 12 हजार 500 रुपये. इधर, 09 सिग्नल बंद होने से लगभग 3.61 करोड़ रुपये की बर्बादी है.

आरटीआइ से सामने आया सच : करोड़ों की है ””स्मार्ट बर्बादी””

स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नलों पर हुए खर्च को लेकर लंबे समय से सवाल उठते रहे लेकिन स्मार्ट सिटी लिमिटेड हर बार जवाब देने से बचता रहा. जब भी पूछा गया कि कितनी राशि खर्च हुई, उनका जवाब या तो गोलमोल रहा या फिर पूरी तरह टालने वाला रहा. अब आरटीआइ कार्यकर्ता संतोष कुमार श्रीवास्तव द्वारा मांगी गयी जानकारी से असलियत सामने आ गयी है. स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने माना है कि सिग्नल सिस्टम पर 6.42 करोड़ रुपये खर्च किये गये, जबकि नौ सिग्नल वर्षों से बंद हैं. यानी करोड़ों की तकनीक कभी उपयोग में ही नहीं आयी. यह जवाब खुद इस बात की गवाही देता है कि यह योजना सिर्फ नाम की स्मार्ट रही, जबकि धरातल पर पैसे की बर्बादी हुई.

बेतरतीब चौराहों पर सिग्नल लगाना मजबूरी या दिखावटी खर्च?

शहर के अधिकतर चौराहे संकरे, अव्यवस्थित और बेतरतीब है, जहां ट्रैफिक सिग्नल की कोई जरूरत नहीं थी लेकिन स्मार्ट सिटी के नाम पर आयी भारी-भरकम राशि खर्च कर दी गयी. चौराहों का ढांचा न तो चौड़ा है और न ही वहां ट्रैफिक नियंत्रण की मूलभूत व्यवस्था मौजूद है. ऐसे में वहां सिग्नल लगाना न केवल अनुपयोगी साबित हुआ, बल्कि करोड़ों की बर्बादी भी हुई.

दीवार में चुनवा दिया सिग्नल, कहीं फुटपाथ, तो कहीं नाला

कचहरी चौक पर सिग्नल तो चालू है लेकिन दो दिशाओं से एकसाथ ट्रैफिक छोड़ा जा रहा है, जिससे हर कुछ मिनट पर टकराव की स्थिति बन जाती है. फुटपाथ नदारद है. भीखनपुर गुमटी नंबर-तीन पर तो हद हो गयी. यहां सिग्नल को दीवार में चुनवा दिया गया है. सिग्नल बंद है और एक दिशा में फुटपाथ की जगह खुला नाला है. शीतला स्थान चौक पर पोल नाले के पास है और दूसरा पोल अतिक्रमण में घिरा है. दुकानें सजी रहती है. गुड़हट्टा चौक की स्थिति भी बेहतर नहीं, जहां महज पांच मीटर चौड़ी जगह पर गाड़ियां सिग्नल पर खड़ी होती हैं.

खुलासा: जिला प्रशासन ने ही बंद कराये ट्रैफिक सिग्नल

ट्रैफिक सिग्नल को लेकर एक और बड़ा खुलासा होना बाकी

ट्रैफिक सिग्नल एक नजर में

सिग्नल की संख्या: 16

लागत : 6.42 करोड़बंद रहने वाले सिग्नल : 3.61 करोड़ रुपये

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