जीतन राम मांझी ने जहानाबाद से लौटने के बाद पार्टी में पहली पंक्ति के नेताओं के साथ आगामी रणनीति पर मंथन किया. सूत्रों से मिली जानकारी के महागठबंधन से अलग होने के बाद किसी भी दल के प्रमुख नेताओं की प्रतिक्रिया और फोन नहीं आने से वह व्यक्तिगत रूप से असहज हैं. हम को बड़ा मलाल यह है कि मुकेश सहनी और रालोसपा के कहने पर ही पार्टी समन्वय समिति बनाने के लिये मुखर हुई. इस मुद्दे पर अलग हुये तो रालोसपा ने भी साथ नहीं दिया. एनडीए से अभी बुलावा नहीं मिला है. मांझी निमंत्रण का इंतजार कर रहे हैं. अंदरखाने की खबर के अनुसार 31 अगस्त तक न्यौता का इंतजार किया जायेगा. दो-तीन सितंबर को मांझी कोई निर्णय ले लेंगे.
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राजद-कांग्रेस चुप हैं तो मुकेश क्यों बोल रहे
हम के प्रदेश अध्यक्ष बीएल बैश्यन्त्री ने महागठबंधन में शामिल वीआइपी पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी के बयान पर पलटवार किया है. सहनी ने एक दिन पहले जीतन राम मांझी के अलग होने के निर्णय पर सवाल उठाये थे. बैश्यन्त्री ने कहा कि मांझी के सहारे रहने वाले मुकेश सहनी राजनीति में अभी कच्चा आदमी हैं. जब महागठंधन के सबसे बड़े दल राजद, सबसे बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस कुछ नहीं बोल रहे हैं तो सहनी क्यों बोल रहे हैं? हम को भरोसा है कि तेजस्वी उनको बोलने के लिये नहीं कहे होंगे. हालांकि, हम नेता का आरोप है कि गोहिल ने बिहार दौरे के दौरा सदाकत तेजस्वी से समन्वय समिति बनाने को कहा था तो तेजस्वी ने कहा था कि वह सोनिया गांधी और अहमद पटेल से ही बात करेंगे.
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