पटना : कोरोना संक्रमण को लेकर गांव-गांव में महिलाओं को जागरूक करने का जिम्मा पहले से ही आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को मिल चुका है.
अब बूथों पर भी सेविका-सहायिका व आशा की तैनाती करने का निर्णय लिया गया है. ताकि, थर्मल स्क्रीनिंग में उनका भी योगदान रहे.
गांव की महिलाओं को थर्मल स्क्रीनिंग में परेशानी नहीं हो. आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका व आशा गांव की महिलाओं के संपर्क में रहती हैं.
क्योंकि, गांव में चलने वाली केंद्र व राज्य की योजनाओं की जानकारी इन्हीं के माध्यम से पहुंचती है और यह ग्रामीण महिलाओं के इतने करीब होते हैं कि वह सभी को फेस-टू-फेस पहचानते हैं. इन्हीं कारणों से थर्मल स्क्रीनिंग करने में इनका सहयोग लिया गया है.
बूथों पर बच्चों व महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था : बूथों पर बच्चों का जाना कोरोना काल में बिल्कुल मना है. लेकिन, अगर किसी कारण से बच्चों को बूथ तक महिलाओं के साथ जाना पड़ा, तो उनको भीड़ से दूर रखने के लिए अलग से व्यवस्था की गयी है. जहां बच्चों को सोशल डिस्टैंसिंग के साथ रखा जायेगा.
Posted by Ashish Jha
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