करगहर. करगहर विधानसभा क्षेत्र का यह तीसरा चुनाव है. इससे पहले दो बार जदयू की जीत हुई है. दोनों बार अलग-अलग प्रत्याशी रहे हैं. इस बार पुराने चेहरे पर एनडीए ने दांव खेला है.
जैसे-जैसे चुनाव प्रचार जोर पकड़ रहा है और मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, करगहर में समीकरण बन बिगड़ रहे हैं. कल तक जो एनडीए के साथ थे, आज बसपा के साथ घूम रहे हैं. जो प्राचीन समाजवादी थे, वे कांग्रेस के साथ दिख रहे हैं. इसका असर जातिय गणित पर भी दिखने लगा है.
जिस जाति के दम पर एनडीए हुंकार भर रही थी, अब उसमें भी सेंधमारी होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. इसके पीछे का कारण है कि दिग्गज राजनीतिक परिवार इस चुनावी अखाड़े में दमखम के साथ कूद पड़ा है.
उधर, कांग्रेस के उम्मीदवार की भी राजनीतिक विरासत रही है. जातिय समीकरण के हिसाब से बसपा व कांग्रेस का पलड़ा भारी होता जा रहा है. अगर, स्थिति ऐसी बनी रही, तो परिणाम चौंकाने वाला होगा. वैसे चुनावी चर्चाओं पर गौर करें, तो नये चेहरों को लोग ज्याद तवज्जों दे रहे हैं.
जब तवज्जों देंगे और उनकी बात सुनेंगे. कुछ न कुछ हवा बदलेगी ही. यही एनडीए के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. वैसे एनडीए को अपने स्टार प्रचारकों पर पूरा भरोसा है. उनके आवागमन से हवा बनेगी.
इस कोरोना काल में जनता भी भीड़ से बच रही है. ऐसे में हवा बहेगी, तब तो हवा बनेगी. खैर राजनीति है. चुनाव में जनता किस करवट बैठेगी कहना मुश्किल है. अभी मतदान में सात दिन शेष है. सभी अपनी ओर से दमखम के साथ काम कर रहे हैं.
Posted by Ashish Jha
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