Bihar Election: जीतनराम मांझी ने की रामविलास पासवान के मौत की जांच की मांग, चिराग की भूमिका पर उठाए सवाल

Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत पर राजनीति जारी है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे जीतनराम मांझी की पार्टी ने रामविलास पासवान की मौत की न्यायिक जांच की मांग की है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 2, 2020 8:53 PM
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Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत पर राजनीति जारी है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे जीतनराम मांझी की पार्टी ‘हम’ (HAM) ने रामविलास पासवान की मौत की न्यायिक जांच की मांग की है.

हिन्‍दुस्‍तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और न्यायिक जांच की मांग की है.पत्र में लिखा गया है कई ऐसी शंकाएं हैं जो चिराग पासवान को सवावों के घेरे में ला देते हैं. उन्होंने पत्र में लिखा है कि देश बड़े दलित नेता रामविलास पासवान हम लोगों को छोड़ कर चले गए. आज भी हम जैसे प्रशंसक उन्हें याद कर दुखी हो जाते हैं.

लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनके अंतिम संस्कार के दूसरे दिन ही एक शूटिंग के दौरान ना केवल मुस्कुराते दिखाई दिए, बल्कि कट-टू-कट शूटिंग की बात करते रहे, जिससे रामविलास पासवान के प्रशंसकों के बीच कई तरह के सवाल उठने लगे हैं. पत्र में साथ ही कहा गया है कि देश जानना चाहता है कि आखिर चिराग पासवान रामविलास पासवान से जुड़े कौन से राज को छुपा रहे हैं?

साथ ही उन्होंने कहा कि किसी केंद्रीय मंत्री के अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान आखिर किसके कहने पर अस्पताल प्रशासन ने रामविलास पासवान का मेडिकल बुलेटिन जारी नहीं किया और सिर्फ तीन लोगों को ही मिलने की इजाजत दी गई थी. दानिश ने पूछा कि आखिर कौन है जो मेडिकल बुलेटिन जारी करने से रोकता था. इन सारी बातों की जांच होनी चाहिए.

चिराग पासवान (Chirag paswan) ने इन आरोपों पर पलटवार किया. कहा कि जिनको भी पापा की मौत पर कोई भी शक है तो वे सीधे पीएम मोदी से सवाल क्यों नहीं पूछते. वह तो रोज फोन करके पापा का हाल जानते थे. चिराग ने साथ ही कहा कि ऐसी बातें करने वालों को शर्म आनी चाहिए. मैंने मांझी जी को फोन पर अपने पापा की गंभीर हालत के बारे में बताया था.

फिर भी वे कभी मेरे बीमार पिता से मिलने नहीं आए. मांझी जी जिस तरह से बात कर रहे हैं, उन्होंने तब चिंता क्यों नहीं जताई जब मेरे पिता अस्पताल में भर्ती थे. एक मरे हुए आदमी पर सब राजनीति कर रहे हैं. जब वे जिंदा थे, तब उन्हें कोई देखने क्यों नहीं आया.

Posted By: utpal kant

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