पटना़ राज्य में साइबर अपराधों की जांच को तकनीकी मजबूती देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए बिहार सरकार और राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएपुएसयू), गांधीनगर के बीच मंगलवार को एक महत्वपूर्ण समझौता (एमओयू) संपन्न हुआ. इस एमओयू के तहत पटना की विधि विज्ञान प्रयोगशाला और राजगीर स्थित क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला में एक-एक अत्याधुनिक साइबर फॉरेंसिक प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी. सरदार पटेल भवन में आयोजित कार्यक्रम में अपराध अनुसंधान विभाग के पुलिस उप-महानिरीक्षक सीआइडी जयंत कांत और एनएफएसयू के कार्यपालक निबंधक सीडी जडेजा ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद चौधरी , बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक (अपराध अनुसंधान) पारसनाथ , एसपी और एनएफएसयू के डीन डॉ. नवीन कुमार चौधरी और डॉ. सतीश भी मौजूद रहे. ये लैब डिजिटल अपराधों की वैज्ञानिक जांच के लिए नवीनतम उपकरणों से लैस होंगी और इनमें नेटवर्क विश्लेषण, डेटा पुनर्प्राप्ति, और सुरक्षित डिजिटल साक्ष्य संरक्षण की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. उसमझौते के माध्यम से एनएफएसयू न केवल तकनीकी मार्गदर्शन देगा, बल्कि राज्य की प्रयोगशालाओं को राष्ट्रीय स्तर की विशेषज्ञता से जोड़ने का कार्य भी करेगा. इस साझेदारी से साइबर अपराधों की जांच अधिक सटीक, त्वरित और वैज्ञानिक होगी, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में तकनीकी साक्ष्यों की स्वीकार्यता और प्रभावशीलता में वृद्धि होगी. उल्लेखनीय है कि यह एमओयू बिहार अग्निशमन सेवा संशोधन नियमावली 2025 तथा नए आपराधिक कानूनों में फॉरेंसिक साक्ष्य की अनिवार्यता के आलोक में किया गया है.
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