सहकारिता के क्षेत्र में दुनिया को नेतृत्व करने की हुई तैयारी

राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में बुधवार को सहकारिता विभाग के द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का उत्सव मनाया गया.

By SANTOSH KUMAR SINGH | June 4, 2025 9:44 PM
an image

बिहारशरीफ. राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में बुधवार को सहकारिता विभाग के द्वारा अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 का उत्सव मनाया गया. इस अवसर पर कार्यशाला को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सहकारिता केवल एक आर्थिक मॉडल नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन है, जो समुदायों को सशक्त बनाने, समावेशी विकास को बढ़ावा देने और सतत भविष्य की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस अवसर पर भारत की भूमिका, डिजिटल बैंकिंग, माइक्रो एटीएम और वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में सहकारिता के योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई .संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है, ताकि सहकारी समितियों के योगदान को वैश्विक मंच पर उजागर किया जा सके. सहकारी समितियाँ विश्व भर में लाखों लोगों को आर्थिक अवसर, सामाजिक समावेशन और पर्यावरणीय स्थिरता प्रदान करती हैं. इस वर्ष का उद्देश्य सहकारी मॉडल को और सशक्त करना, नीतिगत समर्थन को बढ़ाना और डिजिटल प्रौद्योगिकी के माध्यम से इसकी पहुँच को विस्तार देना है.अपने देश में सहकारी आंदोलन का एक गौरवशाली इतिहास रहा है. अमूल जैसे सहकारी मॉडल ने न केवल भारत के डेयरी उद्योग को विश्व पटल पर स्थापित किया, बल्कि ग्रामीण समुदायों को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाया है.भारत सहकारी आंदोलन में एक वैश्विक नेता के रूप में उभर रहा है. देश में लगभग 8 लाख सहकारी समितियाँ हैं, जो 29 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार और आजीविका प्रदान करती हैं. भारत का सहकारी क्षेत्र कृषि, डेयरी, मत्स्य पालन, ग्रामीण ऋण, और हस्तशिल्प जैसे विविध क्षेत्रों में सक्रिय है. देश ने सहकारी समितियों के लिए एक मजबूत नीतिगत ढांचा विकसित किया है. सहकारिता मंत्रालय की स्थापना और ””””””””सहकार से समृद्धि”””””””” के दृष्टिकोण ने सहकारी समितियों को डिजिटल और आधुनिक बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं. इस अवसर पर नालंदा सेंट्रल को ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष सह विधायक डॉ जितेंद्र कुमार, नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक अमृत कुमार वर्णवाल, बैंक के उपाध्यक्ष पंकज कुमार ,बैंक के प्रबंध निदेशक आनंद कुमार चौधरी, संयुक्त निबंधक सहकारिता, पटना संतोष झा, जिला सहकारिता पदाधिकारी नालंदा धर्मनाथ प्रसाद, जिला अंकेक्षण पदाधिकारी संजय कुमार, नालंदा डेयरी के पदाधिकारी आदि के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कार्यशाला का उद्घाटन किया गया. इस अवसर पर बैंक के निदेशक सहित सभी पैक्स अध्यक्ष आदि शामिल हुए. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना:- वक्ताओं ने कहा कि भारत का सहकारी क्षेत्र ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसाइटीज के माध्यम से, छोटे और सीमांत किसानों, कारीगरों, और महिला उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. यह वित्तीय समावेशन और सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है. सहकारी समितियाँ सतत विकास लक्ष्यों, जैसे गरीबी उन्मूलन, लैंगिक समानता, और जलवायु कार्रवाई, को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. भारत ने इन लक्ष्यों को सहकारी मॉडल के माध्यम से लागू करने के लिए कई पहल शुरू की हैं. जिसमें जैविक खेती और नवीकरणीय ऊर्जा पर आधारित सहकारी परियोजनाएँ हैं. सहकारिता में सहकार और माइक्रो एटीएम का योगदान:”””””””” डिजिटल बैंकिंग और माइक्रो एटीएम ने देश में वित्तीय समावेशन को एक नई दिशा दी है. यह प्रौद्योगिकी सहकारी क्षेत्र के लिए गेम-चेंजर साबित हुई हैं, विशेष रूप से ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए यह महत्वपूर्ण हैं. यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने भारत को डिजिटल भुगतान में विश्व नेता बनाया है. सहकारी बैंकों ने यूपीआई को अपनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में त्वरित और कम लागत वाले लेनदेन को सक्षम बनाया है. सहकारी बैंकों में एआई-संचालित क्रेडिट स्कोरिंग मॉडल और ब्लॉकचेन-आधारित नियामक तकनीक का उपयोग धोखाधड़ी को कम करने और लेनदेन की पारदर्शिता बढ़ाने में मदद कर रहा है.माइक्रो एटीएम छोटे, पोर्टेबल उपकरण हैं, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. प्रधानमंत्री जन धन योजना के साथ तालमेल:- प्रधानमंत्री जन धन योजना ने 53 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोलकर वित्तीय समावेशन को गति दी है. सहकारी बैंकों ने इस योजना को ग्रामीण क्षेत्रों में लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. माइक्रो एटीएम और डिजिटल बैंकिंग ने इसके खाताधारकों को रूपे डेबिट कार्ड और यूपीआई जैसे उपकरणों के माध्यम से वित्तीय सेवाओं तक पहुँच प्रदान की है. सहकारी समितियाँ और डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं. सहकारी बैंकों ने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और महिला उद्यमियों के लिए ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएँ प्रदान की हैं. इससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है. वित्तीय समावेशन से बचत में वृद्धि, वित्तीय मध्यस्थता की दक्षता में सुधार, और नए व्यावसायिक अवसरों का सृजन हुआ है. भविष्य में देश में की जा रही तैयारी:- देश में सहकारिता के विकास के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. इनमें वित्तीय साक्षरता कार्यक्रमों को मजबूत करना, सहकारी समितियों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों के साथ और अधिक एकीकृत करना, सीमा पार यूपीआई और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देने की तैयारी की जा रही है. अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 भारत के लिए एक अवसर है कि वह अपने सहकारी मॉडल को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करे और वित्तीय समावेशन को और बढाये. सहकारिता और समावेशन के माध्यम से हर व्यक्ति सशक्त और समृद्ध बने.

संबंधित खबर और खबरें

यहां बिहारशरीफ न्यूज़ (Bihar Sharif News) , बिहारशरीफ हिंदी समाचार (Bihar Sharif News in Hindi), ताज़ा बिहारशरीफ समाचार (Latest Bihar Sharif Samachar), बिहारशरीफ पॉलिटिक्स न्यूज़ (Bihar Sharif Politics News), बिहारशरीफ एजुकेशन न्यूज़ (Bihar Sharif Education News), बिहारशरीफ मौसम न्यूज़ (Bihar Sharif Weather News) और बिहारशरीफ क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version