बिहार के केसरिया बौद्ध स्तूप को मिलेगी नई पहचान, अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में होगा विकसित

बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित विश्व के सबसे बड़े बौद्ध स्तूप 'केसरिया स्तूप' में 19.77 करोड़ रुपये की लागत से पर्यटक सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा. इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी गई है.

By Anand Shekhar | August 14, 2024 5:49 PM
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Kesariya Buddhist Stupa: बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में स्थित बौद्ध केसरिया स्तूप भारत के ही नहीं, बल्कि विश्व के बौद्ध धर्मालंबियों के लिए एक पवित्र स्थल माना जाता है. इस स्तूप को अब अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. पर्यटन विभाग ने इसकी तैयारी कर ली है. यहां पर्यटकीय सुविधाओं के विस्तार हेतु 19.77 करोड़ रुपए की परियोजना को स्वीकृति प्रदान की गई है. इस बात की जानकारी देते हुए राज्य के पर्यटन सह उद्योग मंत्री नीतीश मिश्र ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया है.

45 सीटों वाला ऑडिटोरियम भी बनेगा

इस योजना के तहत पर्यटकीय सुविधाओं के साथ-साथ यहां के लूक को आकर्षक बनाने के लिये केसरिया स्तूप के चारों ओर 8 बौद्ध स्थल की रिप्लिका बनाने की तैयारी है. इन सबके लिए पर्यटन विभाग ने 19.77 करोड़ की परियोजना प्रस्तावित की है. इस राशि से मुख्य स्तूप के ऊपर 8 छोटे स्तूप, ऑडियो-विजुअल सुविधा युक्त 45 सीटों वाला ऑडिटोरियम और प्रदर्शनी हॉल समेत अन्य सुविधाओं का विकास किया जाएगा. केसरिया स्तूप की ऊंचाई करीब 120 मीटर और फर्श 104 फीट है.

बनाई जायेगी इन आठ बौद्ध स्थलों की रिप्लिका

केसरिया स्तूप के चारों ओर आठ बौद्ध स्थलों की रिप्लिका विकसित किया जाना है. इन आठ रिप्लिका में विश्व शांति स्तूप, महाबोधि मंदिर, नालंदा विश्वविद्यालय का भावनावशेष, अशोक स्तंभ वैशाली, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, गुरुपा बौद्ध स्थल, बराबर की गुफा और सुजाता स्तूप का निर्माण कराया जाएगा. पर्यटन विभाग के अनुसार इस स्तूप के इर्दगिर्द के क्षेत्र 75 एकड़ भूखंड में अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र विकसित करने की योजना है.

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खुदाई में पता चला स्तूप के चारों ओर “प्रदक्षिणा पथ” वाली छत

केसरिया स्तूप की हाल ही में की गई खुदाई से बौद्ध इतिहास पर प्रकाश पड़ता है.केसरिया स्तूप की हाल ही में की गई खुदाई से बौद्ध इतिहास पर प्रकाश पड़ता है. खुदाई से स्तूप के चारों ओर “प्रदक्षिणा पथ” वाली छतों का पता चला है. सबसे महत्वपूर्ण खोज भगवान बुद्ध की “भूमि स्पर्श मुद्रा” और अन्य बैठी हुई छवियों की एक बड़ी संख्या है.

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