Darbhanga News: प्रवीण कुमार चौधरी, दरभंगा. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के छह पीजी विभागों में नामांकित कई सत्र के दर्जनों अर्हताधारी छात्रों को सुलभ छात्रवृत्ति राशि का भुगतान वर्षों से लंबित है. इसे लेकर लाभुक छात्र-छात्रा विवि व पीजी विभागों का चक्कर लगाकर थक चुके हैं. बताया जाता है कि पीजी विभागों की ओर से अर्हताधारी चयनित छात्र-छात्राओं की सूची बनाकर भुगतान के लिए कई बार डीएसडब्ल्यू कार्यालय को भेजा जा चुका है. बावजूद विवि की ओर से संबंधित पीजी विभागों को अभी तक राशि नहीं भेजी गयी है. विवि सूत्रों के अनुसार अभी तक सत्र 2019-21 के छात्रों को प्रथम वर्ष में 10 माह तक के छात्रवृत्ति मद की राशि का भुगतान किया गया है. इसके बाद से इस सत्र के 40 छात्रों का अगले खंड के तीन लाख रुपये के अलावा सत्र 2020-22 के छह लाख, 2021-23 के छह लाख, 2022-24 के छह लाख तथा 2023-25 के छह लाख यानी पांच सत्रों के 200 छात्रों के 27 लाख रुपये का भुगतान लंबित है.
सुलभ इंटरनेशनल ने छात्रवृति मद में जमा कर रखा है पैसा
सुलभ इंटरनेशनल के तत्कालीन चेयरमैन डॉ विदेश्वर पाठक ने छह पीजी विभागों में नामांकित आर्थिक रूप से कमजोर पर योग्य छात्रों को पढ़ने में सहायता पहुंचाने के उद्देश्य से 25 लाख रुपये विवि को दे रखा है. बैंक में जमा राशि पर प्राप्त ब्याज के पैसे से प्रत्येक विषय के पांच- पांच छात्रों को छात्रवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है. पीजी साहित्य, व्याकरण, ज्योतिष, वेद, दर्शन व धर्मशास्त्र विषय में सत्रवार लगभग 40 छात्र-छात्राओं को सुलभ छात्रवृत्ति योजना मद में कुल छह लाख रुपये दिया जाना तय है.
छात्रों पर भारी पड़ रही विवि के अधिकारियों की अकर्मण्यता
जानकारी के अनुसार छात्रवृति मद में भुगतान के लिये विवि को न राजभवन से और न ही राज्य सरकार से अनुमति लेने की आवश्यकता होती है. बावजूद विवि के अधिकारियों की शिथिलता या अकर्मण्यता छात्रों पर भारी पड़ रही है. कई पीजी विभागाध्यक्षों ने बताया कि छात्रवृत्ति मद की लंबित राशि के संबंध में अब अगर छात्र पूछताछ करने आता है, तो उन्हें शर्म महसूस होता है. उसे क्या जबाव दें. विभाग की ओर से कई बार सूची भेजी जा चुकी है. निजी स्तर पर भी अधिकारियों को कई बार कहा जा चुका है. पीजी विभागाध्यक्षों की बात भी विवि के अधिकारी नहीं सुन रहे.
कुलसचिव कार्यालय में 24 मार्च से पड़ी है संचिका
सुलभ छात्रवृत्ति मद की राशि भुगतान के लिए सबसे पहले पीजी व्याकरण विभाग से सूची मिली थी. भुगतान के लिए कुलपति का आदेश मिल चुका है. मूल संचिका के साथ कंटीजेंट वाउचर हस्ताक्षर के लिये कुलसचिव कार्यालय में संचिका 24 मार्च को भेजी गयी, जो अब तक वापस नहीं हुई है. इस कारण कुलपति के आदेश के बावजूद भुगतान लंबित है. अन्य सभी पीजी विभागों से भी छात्रों की सूची प्राप्त है, लेकिन मूल संचिका नहीं लौटने के कारण इन छात्रों की सूची यूं ही पड़ी है.
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