Darbhanga News: सुबोध नारायण पाठक, बेनीपुर. बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मनोनयन के बाद बोर्ड की पहली बैठक में संस्कृत शिक्षा को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने के निर्णय से प्राच्य भाषा संस्कृत से जुड़े लोगों में हर्ष है. हालांकि लोगों का कहना है कि पूरी तरह बेपटरी हुई संस्कृत शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर वापस लाने में नई कमेटी को काफी मशक्कत करनी होगी. कारण प्राय: सभी विद्यालय भूमिहीन, छात्रहीन व शिक्षकविहीन हो गये हैं. इस कारण कभी संस्कृत शिक्षा के माध्यम से वेद की ऋचा व श्लोक गूंजने व संस्कृत के विद्वान एवं पंडितों का गढ़ माने जाने वाले मिथिला से संस्कृत शिक्षा विलुप्त सी होती जा रही है. वैसे प्रखंड स्तर पर बात करें तो प्रखंड में 10 संस्कृत प्राथमिक व मध्य विद्यालय हैं, परंतु प्राय: सभी कागज पर संचालित हो रहे हैं. किसी विद्यालय में आदेशपाल बच्चों के भविष्य गढ़ने में लगे हुए हैं, तो कहीं ये भी नहीं हैं.
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