Darbhanga News: दरभंगा. प्रेमचंद जयंती पर लनामिवि के पीजी हिदी विभाग में गुरुवार को ‘प्रेमचंद की रचनात्मक उपलब्धियों का महत्व’ विषयक संगोष्ठी हुई. अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. उमेश कुमार ने कहा कि आज भी हम प्रेमचंद की रचनाओं को पढ़ कर अपना मार्ग तलाशते हैं. उन्होंने जासूसी-अय्यारी के दौर से हिन्दी साहित्य को निकाल कर यथार्थ की भूमि पर लाकर खड़ा किया. राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन के दौर में अपनी कहानियों को जन- जागरण का माध्यम बनाया. कहा कि प्रेमचंदकालीन दौर में भी किसान आंदोलन चरम पर था. किसानों की आशाओं-आकांक्षाओं को साहित्य में बेहद प्रमाणिकता से दर्ज करने का श्रेय प्रेमचंद को ही जाता है.
वर्तमान समय में लगातार प्रासंगिक होते जा रहे प्रेमचंद- प्रो. विजय
प्रो. विजय कुमार ने कहा कि जिस दौड़ में हिन्दी नवजागरण को मूर्तमान करने वाले कथाकारों-साहित्यकारों का अभाव था, वह कमी प्रेमचंद ने पूरी की. उन्होंने बहुसंख्य गैर हिन्दी भाषी पाठकों को जोड़ा. एक बड़ा पाठक वर्ग उन्हें मिला, यह बड़ी बात है. वैचारिक प्रतिबद्धता उन्हें महान बनाती है. उन्होंने कला को भी उपयोगिता की कसौटी पर देखा. आर्थिक-सामाजिक परिवर्तन के लिए उन्होंने होरी, सूरदास जैसे पात्रों को खड़ा किया. कहा कि वर्तमान समय में प्रेमचंद लगातार प्रासंगिक होते जा रहे हैं. डॉ आनंद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि प्रेमचंद ने सामाजिक जीवन की तमाम विसंगतियों, राग-द्वेष को बहुत सूक्ष्मता से चित्रित किया. हीरालाल सहनी ने कहा कि प्रेमचन्द का साहित्य कालजयी है. डॉ मंजरी खरे ने कहा कि सहजता की सीख प्रेमचंद से मिलती है. प्रेमचंद जयंती आयोजन समिति के अध्यक्ष मो. मुजाहिद ने कहा कि प्रेमचंद साहित्य आंदोलन की तरह है. शोधार्थी बबीता कुमारी, रोहित कुमार, संध्या राय, रूबी कुमारी, बेबी कुमारी, अमित कुमार, मलय नीरव, सुभद्रा कुमारी आदि ने कहानी पाठ व प्रेमचंद के आलेखों के अंश का पाठ किया. संचालन कंचन रजक तथा धन्यवाद ज्ञापन समीर ने किया.
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