Darbhanga: गोदामों में पड़ा धान, पैक्स अध्यक्षों को भरना पड़ रहा सूद

सहकारिता विभाग की लचर व्यवस्था के कारण धान व गेहूं अधिप्राप्ति केन्द्र दम तोड़ता जा रहा है.

By RANJEET THAKUR | April 28, 2025 10:41 PM
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बेनीपुर. सहकारिता विभाग की लचर व्यवस्था के कारण धान व गेहूं अधिप्राप्ति केन्द्र दम तोड़ता जा रहा है. सरकार ने सहकारिता विभाग के माध्यम से पैक्स का गठन कर सरकार द्वारा निर्धारित समर्थन मूल्य पर पर किसानों से धान व गेहूं की खरीद की व्यवस्था की, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण वह व्यवस्था हांफ रहा है. अधिकांश पैक्स अध्यक्ष धन एवं गेहूं खरीदने से मुंह मोड़ने लगे हैं. इसकी मुख्य वजह एसएफसी व मिलर हैं, जिनके बीच पैक्स अध्यक्ष पिस रहे हैं. पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि धान खरीद किये सात माह गुजर चुके हैं, लेकिन अभी तक अधिकांश पैक्स के गोदाम में धान पड़ा ही है. गोदाम के अभाव में एसएफसी चावल नहीं ले रहा है. इसी बहाने पैक्स से मिलर धान नहीं ले रहे हैं. परिणामस्वरूप अधिकांश पैक्स गोदाम में आज भी कई लॉट का धान पड़ा है. बेवजह पैक्स को इसका सूद भरना पड़ रहा है. लिहाजा पैक्स घाटे में जा रहा है. इस दिशा में सहकारिता विभाग की कोई पहल धरातल पर नजर नहीं आ रही है. बताया जाता है कि इसी कारण से वर्तमान में 22 पैक्स में मात्र पांच पैक्स अध्यक्षों ने धान की खरीद की. बांकी पैक्स का धान कल्याणपुर स्थित जरिसों पैक्स सह मिलर ने ही खरीद की है. यही कारण है कि गेहूं अधिप्राप्त आरंभ हुए डेढ़ माह से अधिक बीत जाने के बावजूद अभी तक प्रखंड के एक भी पैक्स ने एक छटांक गेहूं की खरीद नहीं की है.

धान खरीद की प्रक्रिया

जिला का चावल में जिला में ही खपत करने पर दूर होगी समस्या

इस संबंध में पूछने पर एसएफसी के जिला प्रबंधक मुकेश कुमार ने बताया कि जिला में मात्र तीन उसना चावल का मिल है. इस कारण मीनिंग काम हो रहा है. साथ ही स्टोर की क्षमता भी कम है. वैसे इसके लिए फिलहाल में बिठौली पैक्स के गोदाम का एग्रीमेंट किया गया है जहां कल से भंडारण किया जाएगा. जिला में खरीद किए गये चावल का मात्र 50 से 60 प्रतिशत ही मुख्यालय से जिला को आवंटित किया जा रहा है. इस कारण प्रति माह खरीद के 50 से 40 प्रतिशत चावल गोदाम में ही रह जाता है. इसके बदले 40 से 50 प्रतिशत आवंटन बाहर से कर दिया जाता है. लिहाजा यह समस्या उत्पन्न हो रही है. इसके लिए डीएम के माध्यम से मुख्यालय को भी पत्र लिखा गया है. यदि शत-प्रतिशत जिला का चावल जिला में आवंटित कर दिया जाए, तो यह समस्या नहीं होगी.

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