13 अप्रैल को स्वराजपुरी रोड पर हुई थी घटना
डेल्हा थाना क्षेत्र के जनता कॉलोनी बैरागी मुहल्ला निवासी रामनारायण सिंह 13 अप्रैल की सुबह स्वराजपुरी रोड स्थित एसबीआई एटीएम से रुपये निकालने पहुंचे थे. इस दौरान उनका एटीएम कार्ड मशीन में फंस गया. एटीएम केबिन में मौजूद गार्ड ने उन्हें वहां चिपकाये गये एक मोबाइल नंबर पर कॉल करने को कहा. कॉल पर बात करने के बाद गार्ड ने उन्हें एसबीआई की मुख्य शाखा ले जाने की बात कही. मुख्य शाखा में किसी के नहीं मिलने पर लौट कर आने पर रामनारायण सिंह को बताया गया कि कार्ड एटीएम मशीन के अंदर चला गया है और अगली सुबह मिल जायेगा, लेकिन करीब तीन घंटे बाद ही उनके खाते से डेढ़ लाख रुपये की अवैध निकासी हो चुकी थी. इस मामले में पीड़ित के बेटे राहुल सिंह के बयान पर सिविल लाइंस थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी.
सिटी एसपी ने बनायी विशेष टीम
घटना को गंभीरता से लेते हुए सिटी एसपी रामानंद कुमार कौशल ने सिटी डीएसपी सरोज कुमार शाह, सिविल लाइंस थानाध्यक्ष शमीम अहमद और टेक्निकल सेल के अधिकारियों की टीम गठित की. टीम ने सीसीटीवी फुटेज, दर्जनों मोबाइल नंबरों का सीडीआर और डंप डेटा खंगाल कर जांच की. लगातार छानबीन के बाद पुलिस की टीम नवादा जिले के अतउआ गांव पहुंची और घेराबंदी कर चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
फर्जी हेल्पलाइन नंबर और चालाकी से कार्ड बदलते थे
सिटी एसपी ने बताया कि गिरोह के सदस्य एटीएम बूथ पर फर्जी हेल्पलाइन नंबर चिपका देते थे और मशीन में स्टिक लगाकर कार्ड को फंसा देते थे. जब ग्राहक घबरा कर उस नंबर पर कॉल करता, तो आरोपी उसे बैंक जाने की सलाह देते और उसी दौरान उसका कार्ड निकाल कर अपने गिरोह के किसी सदस्य को बुलाकर बदल देते थे. इसके बाद में उस कार्ड से खाते से रुपये निकाल लेते थे.
बिहार, झारखंड और यूपी में फैला है नेटवर्क
पूछताछ में आरोपितों ने कबूल किया कि उनका गिरोह बिहार के कई जिलों के अलावा झारखंड और उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की घटनाओं को अंजाम देता था. गिरोह के अन्य सदस्यों की पहचान और गिरफ्तारी के लिए पुलिस कार्रवाई जारी है. इसके साथ ही, गिरफ्तार चारों अपराधियों के आपराधिक इतिहास की भी जांच की जा रही है.
जब्त कार चोरी की होने की आशंका, मोबाइल की जांच जारी
सिविल लाइंस थानाध्यक्ष शमीम अहमद ने बताया कि गिरफ्तार अपराधियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया है. उनके पास से जब्त कार के इंजन और चेसिस नंबर के आधार पर मालिक की पहचान की जा रही है. साथ ही, छह मोबाइल फोन का सीडीआर निकाल कर गिरोह के नेटवर्क की भी जांच की जा रही है, ताकि पूरे गिरोह का खुलासा हो सके.
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