विश्व स्तनपान सप्ताह : हर मां कहे- ब्रेस्टफीडिंग इज बेस्ट
मां का दूध शिशु के सबसे बेहतर आहार है. मैंने अपने बच्चे को छह माह तक एक्सक्लूसिक ब्रेस्टफीडिंग कराया. यानि छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराया और इसके अलावा उसे कुछ भी नहीं दिया. मैं इस विषय पर जागरूक रहीं और यही कारण है कि मेरी बेटी स्वस्थ रहती है. कई माएं शिशु के लिए विकल्प के तौर पर फॉर्मूला मिल्क को चुनती है जो शिशु के स्वास्थ्य के लिए बेहतर नहीं है. इससे बच्चे का पेट नहीं भरता, बच्चे को पाचन संबंधी बीमारी रहती है. स्तनपान से बेहतर पोषण के अलावा शिशु और मां का भावनात्मक जुड़ाव होता है. उक्त बातें एक कार्यक्रम में शिक्षक निक्हत समी ने कही. निक्हत कहती हैं कि लोगों के पास फॉर्मूला मिल्क के बारे में दिगभ्रमित करने वाली जानकारियां है लेकिन ब्रेस्टफीडिंग इज बेस्ट. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक शून्य से छह माह के शिशु को सिर्फ और सिर्फ मां का दूध ही पिलाया जाना चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन स्तनपान को लेकर जागरूकता अभियान भी चलाता है. विश्व स्तनपान सप्ताह इस अभियान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
मां के दूध में है सभी जरूरी पोषक तत्व
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ एमई हक से ब्रेस्टमिल्क बनाम फॉर्मूला मिल्क विषय पर बात किया तो उनका का कहना है कि ब्रेस्ट मिल्क यानि मां का दूध ही शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार है. मां के दूध में प्राकृतिक तौर पर संतुलित मात्रा में प्रोटीन, कॉर्बोहाइड्रेट्स सहित अन्य सभी प्रकार के माइक्रो न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं. मां का दूध सुपाच्य होता है और शिशु को कब्ज नहीं रहता है. डायरिया से बचाव होता है. शिशु का रोग प्रतिरोधी क्षमता मजबूत रहता है जिससे संक्रामक बीमारियों का खतरा कम हो जाता है. जबकि फॉर्मूला मिल्क संक्रमण का एक बड़ा कारण है. स्तनपान से शिशु का मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक विकास बेहतर होता है.
फॉर्मूला मिल्क से जुड़ी दिग्भ्रमित बातों से बचें
डॉ हक कहते हैं कि फॉर्मूला मिल्क को लेकर लोग कही-सुनी बातों पर विश्वास कर लेते हैं. फॉर्मूला मिल्क के बारे में ऐसा माना जाता है कि इससे बच्चे का विकास बेहतर होता है, बच्चा भूखा नहीं रहता, बच्चे के लिए जरूरी पोषक तत्व मौजूद हैं और यह ब्रेस्टमिल्क जैसा ही है, ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे का पेट नही भरता, ब्रेस्ट मिल्क पिलाने वाली मां कमजोर होती है, लेकिन यह सभी गलत जानकारी है.
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