ज्ञान और बुद्धि के प्रचार के लिए जानी जाती है भारतीय सभ्यता
बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि विश्व में पांच प्रमुख सभ्यताएं हैं, ईरानी, चीनी, रोमन, तुर्क और भारतीय, जो अपने-अपने महत्व के लिए जानी जाती हैं. भारतीय सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह ज्ञान और बुद्धि के प्रचार के लिए जानी जाती है. इस कारण हमें अपने प्राचीन शास्त्रों में मानवता का वास्तविक अर्थ खोजने की आवश्यकता है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने पहली बार राजनीतिक क्षेत्र में इस अवधारणा का प्रयोग किया था. अपने व्याख्यान के दौरान राज्यपाल ने भगवद् गीता, वेदों के श्लोकों और आदि शंकराचार्य, स्वामी विवेकानंद व भारत के अन्य महान दार्शनिकों के कथनों को उद्धृत किया.
उन्होंने अपने भाषण का समापन करते हुए कहा कि हमारे संविधान निर्माता प्रस्तावना में इतने सारे बिंदुओं को रखने के बजाय एकात्म मानववाद शब्द का प्रयोग कर सकते थे, जो विविधतापूर्ण और विशाल देश भारत के लिए बहुत उपयुक्त है. उद्घाटन समारोह में इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राम माधव ने कहा कि भारत निःसंदेह एक महान देश है. लेकिन, अंतरराष्ट्रीय मंच पर महान विचारकों को पैदा न करने के लिए हमारी आलोचना की जाती है. मेरे लिए पिछली सदी में देश ने दो महान मौलिक विचारकों को जन्म दिया. एक महात्मा गांधी और दूसरे पंडित दीनदयाल उपाध्याय. लेकिन, भारत में हम अपनी जड़ों की ओर ध्यान देने के बजाय पश्चिमी दर्शन से ज्यादा प्रभावित हैं. इसलिए दुनिया हमारी आलोचना करती है.
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सम्मेलन में युवा विद्वानों प्रस्तुत किये शोधपत्र
सीयूएसबी के पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि अगले सत्रों में डॉ विनय सहस्रबुद्धे, पूर्व सांसद (राज्यसभा) सह नालंदा अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो सुनैना सिंह, डॉ राम माधव, विभागाध्यक्ष, दर्शनशास्त्र, सोरबोन विश्वविद्यालय, अबू धाबी के प्रो क्लाउड विष्णु स्पाक, जेएनयू से प्रो. वंदना मिश्रा, पटना विश्वविद्यालय से डॉ गुरु प्रकाश पासवान, सीयूएसबी के डीन प्रो. प्रणव कुमार ने भी विषय पर अपने विचार साझा किये. सेंटर के कॉर्डिनेटर और सेमिनार के संयोजक डॉ सुधांशु कुमार झा व को-कॉर्डिनेटर डॉ रोहित कुमार ने बताया कि समानांतर सत्र में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन युवा विद्वानों ने अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत किये.
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