Gaya News: 21 साल बाद भी महेश-सरिता की याद में रोता है शब्दों गांव, अपराधियों के कारण सपना रह गया था अधूरा
Gaya News: महेश और सरिता कुछ बेहतर करने का सपना लेकर गया जिले के शब्दों गांव में आये थे. उनके कारण इस गांव के लोगों के जीवन में सकारात्मक सुधार आ रहा था. ये बार अपराधियों को नहीं रस आई और दोनों की हत्या कर दी.
By Paritosh Shahi | January 24, 2025 6:40 PM
Gaya News: गया जिले के फतेहपुर प्रखंड के शब्दों गांव के विकास की नयी गाथा लिखने में जुटे महेश-सरिता की हत्या 24 जनवरी 2004 की रात हुई थी. घटना के 21 वर्ष बाद भी गांव अब भी वहीं खड़ा है, जहां दोनों इसे छोड़ गये. इनकी हत्या के बाद कई राजनीतिक दलों के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, समाजसेवी मेधा पाटकर, संदीप कुमार सहित कई लोगों ने शब्दो गांव का दौरा किया. सभी ने महेश-सरिता के सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया. साथ ही दोनों का स्मारक स्थल बनाने की घोषणा की. गांव के लोगों को विश्वास था कि उनके गांव में विकास का पहिया नहीं थमेगा, पर ऐसा हो नहीं सका. आज दो दशक के बाद गांव में कोई स्मारक तो दूर, उनकी याद में कोई नेता भी गांव में नहीं आते. शब्दों के ही कुछ ग्रामीण उनके फोटो पर माल्यार्पण कर उनको श्रद्धा सुमन अर्पण करते हैं. शब्दों के ग्रामीण आज भी महेश-सरिता को याद कर भावुक हो जाते हैं. उन्हें याद कर कहते हैं कि अगर दोनों जिंदा होते तो गांव के साथ-साथ फतेहपुर प्रखंड का नाम देश-विदेश में रोशन रहता.
शब्दों गांव के लिए क्यों खास हैं हरियाणा के महेश व खगौल की सरिता
कुछ बेहतर करने की सोच लेकर हरियाणा के महेश और खगौल की सरिता अगस्त 2002 में एक ऐसे गांव की खोज में निकले थे, जहां उस दौर में पूर्ण शराबबंदी जैसी स्थिति हो और गांव के किसी व्यक्ति पर केस दर्ज नहीं हुआ हो. शब्दों गांव पहुंचने पर उनकी खोज पूरी हुई. दोनों ने गांव में रहकर वहां का विकास करने का फैसला लिया. गांववालों ने भी उनके प्रयास में कदम से कदम मिलाकर चलने का निर्णय लिया. इनके प्रयासों को देखते हुए तत्कालीन आयुक्त हेमचंद्र सिरोही का सहयोग मिला. इनके प्रयास किसानों ने गांव में सामूहिक खेती का निर्णय लिया व खेतों के मेड़ को तोड़ कर देश में एक नजीर पेश की.
महेश-सरिता ने गांव में इरा इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड एक्शन नाम से एक संस्था भी बनायी. संस्था का अध्यक्ष सत्येंद्र प्रसाद व सचिव रामाशीष यादव को बनाया गया. सरकारी मदद व समाजसेवियों के प्रयास के बाद गांव की तस्वीर धीरे-धीरे बदलने लगी. गांव में जगजननी भवन, पशुपालन केंद्र, सामूहिक खेती, बिजली की स्थिति में व्यापक सुधार होना शुरू हो गया. विकास का पहिया अपनी तेज गति से चल रहा था. इसी बीच 24 जनवरी 2004 की वह काली रात आयी, जब अपराधियों ने महेश-सरिता की रात करीब सात बजे हत्या कर दी. उनकी हत्या पर राज्यभर में सनसनी फैल गयी थी. उनकी पहल पर तैयार हो रहा पशुपालन का शेड आज भी वैसे ही अधूरा पड़ा है, जगजननी भवन की स्थिति जर्जर है. पंजाब नेशलन बैंक जम्हेता में इरा संस्था के नाम पर सरकार द्वारा दिया गया सात लाख रुपये का आवंटन पड़ा हुआ है. इसको 2004 से ही फ्रिज कर दिया गया है.
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