गया जी. गया कॉलेज के शिक्षा शास्त्र विभाग के बीएड प्रशिक्षुओं द्वारा मंगलवार को संस्थान के प्राचार्य प्रो सतीश सिंह चंद्र के दिशा निर्देश पर मध्य विद्यालय डेल्हा में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया. इसमें स्कूली बच्चों ने बीएड प्रशिक्षुओं के मार्गदर्शन में भारतीय संस्कृति और कला से संबंधित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के प्रस्तुति दी. मुख्य रूप से भारतीय शास्त्रीय गायन व भारतीय सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित नृत्य का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गया कॉलेज के शिक्षा शास्त्र विभागाध्यक्ष धनंजय धीरज ने कहा कि आधुनिकता की इस अंधी दौड़ में हम भारतीय संस्कृति अपने परंपराओं और लोक मूल्यों को भूलते चले जा रहे हैं. आधुनिकीकरण के नाम पर फूहड़ व सामाजिक रूप से अस्वीकार्य गीत व नृत्य को प्राथमिकता दे रहे हैं. आधुनिकीकरण से हमारा तात्पर्य बौद्धिक रूप से स्वयं को समृद्ध करने सांस्कृतिक रूप से स्वयं को शक्तिशाली करने व अपने लोक परंपराओं और लोकगीतों का संरक्षण करने से है. भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है. यहां की बहुरंगी संस्कृति हमें अनेकता में एकता का संदेश देता है. डॉ धीरज ने कहा कि हमें अंतर राज्य सांस्कृतिक आदान-प्रदान के तहत एक दूसरे राज्यों के लोक कलाओं, लोक परंपराओं, लोक नृत्य और लोक संगीतों को जानना व समझना चाहिए. एक भारत श्रेष्ठ भारत की जानकारी साझा करते हुए उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि इसके तहत एक राज्य के विद्यार्थी दूसरे राज्यों में जाकर अपने संस्कृति कला और कौशलों का प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान का परिदृश्य पूरे देश में बन रहा है.
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