बैजूबिगहा में अब भी मिलते हैं प्राचीन शहर और गुप्तकालीन विहार के अवशेष, जानें कहां है प्राचीन बौद्ध स्थल बैजूधाम

गया जिले के गुरुआ प्रखंड में अनेक ऐतिहासिक व पुरातत्विक महत्व के स्थान हैं. उन्हीं में से एक है बैजूबिगहा गांव में स्थित बैजूधाम. मोरहर नदी के किनारे दो सुंदर पहाड़ियों मरहट और मुरली के बीच स्थित बैजूधाम कभी शैव व बौद्ध महाविहारों से भरापूरा एक महत्वपूर्ण पुरास्थल था.

By Paritosh Shahi | March 27, 2025 8:20 PM
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Gaya, डॉ प्रमोद कुमार वर्मा: मगध के प्राचीन बौद्ध स्थलों पर शोध करने वाले शोधर्थी और पटना विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और पुरातत्व विभाग के परास्नातक छात्र प्रिंस कुमार ने बताया कि मेजर किट्टो ने 1847 में पहली बार इस स्थल को देखा था और उन्होंने अपनी रिपोर्ट ‘नोट्स ऑन द विहारा एंड चैत्या ऑफ बिहार’ में उल्लेख करते हुए इसे चिलोर गढ़ के समान बताया.

क्या बताए थे मेजर किट्टो

मेजर किट्टो के अनुसार बैजूधाम कभी मगध का एक महत्वपूर्ण प्राचीन शहर था, जहां राजाओं के कई किले थे. मरहट और मुरली पहाड़ों पर शैव और बौद्ध महाविहार प्रतिष्ठापित थे. इसके अवशेष आज भी पुराने ईंटों के रूप में मौजूद हैं. गुरुआ की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता रूपा रंजन के अनुसार, पुरातत्विक शोध से पता चलता है कि बैजूधाम में लगभग 500 मीटर की परिधि में प्राचीन ईंट और दीवार के साक्ष्य मिलते हैं, जो गुप्तकालीन प्रतीत होते हैं.

क्या-क्या मिला

प्रिंस कुमार ने बताया कि इस पहाड़ी पर शंख लिपि भी मिली है, जो पहाड़ के पूर्वी भाग में स्थित है. यह लिपि 5वीं-6वीं शताब्दी की है. इस लिपि को आज तक पढ़ा नहीं जा सका है. प्रिंस ने बताया कि मुरली पहाड़ पर भी कटी हुई सीढ़ियों और ईंटों के टुकड़े व प्राचीन विधि से पत्थर को काटकर स्तंभ बनाने के साक्ष्य भी मिलते हैं. इस पहाड़ी के शीर्ष पर ईंटों से निर्मित भग्नावशेष भी मिले हैं जो स्तूप के आकार में दिखाई पड़ते हैं. साथ ही पहाड़ के निचले क्षेत्र में एक यक्षिणी की खंडित मूर्ति भी मिली है. इसके आलवा बैजूधाम से उत्तरी कृष्ण मृद्धभांड, लाल-काली मृदभांड, मनके इत्यादि भी प्राप्त हुए है.

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क्या बोले समिति के अध्यक्ष

बैजूधाम समिति के अध्यक्ष संजय कुमार बताते हैं कि 20 अक्टूबर 2000 को मरहट पहाड़ के ऊपर सात फुट लंबा और तीन फुट गोलाकार शिवलिंग मिला था. शिवलिंग के चारों ओर दीवार थी. इसके चारों ओर नौ चैंबर भी मिले थे. इसमें संभवतया पूर्व काल में भी मूर्तियां स्थापित रही होंगी. लिंग के आधार स्तंभ अष्टकोणीय है. इसकी बाहरी लंबाई तीन फुट है. लिंग के निचले भाग में एक त्रिशूल अंकित है. यहां खुदाई के क्रम में ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित ब्रह्मा व विष्णु की मूर्ति एवं काले वैसाल्ट पत्थर से निर्मित खंडित उमा-महेश्वर की मूर्तियां मिली हैं. वर्ष 2000 के बाद बैजूधाम में विशाल शिव मंदिर का निर्माण कराया गया है. आज बैजूधाम शिवभक्तों और प्राकृतिक सौंदर्य प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है.

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